पारंपरिक मुद्दे

शिमला समझौता

1971 के युद्ध की समाप्ति के पश्चात् हुआ ‘शिमला समझौता’ दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों के आधार के रूप में प्रसिद्ध है। इसके अनुसार-

  • आपसी मतभेद हमेशा द्विपक्षीय बातचीत से ही निपटाएंगे।एक-दूसरे की अखंडता एवं स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे।
  • 17 दिसंबर, 1971 के युद्ध विराम के समय प्रभावी नियंत्रण रेखा का दोनों देश सम्मान करेंगे।
  • 1998 में भारत द्वारा परमाणु विस्फोट के बाद रिश्तों में आयी तल्खी को खत्म करने के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर तक बस से गए।

भौगोलिक स्थिति

पाकिस्तान का क्षेत्रफल 7,96,095 वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह विश्व में 37वें स्थान पर है। अरब सागर से लगी इसकी सामुद्रिक सीमा रेखा 1046 किलोमीटर लम्बी है। इसकी जमीनी सीमा रेखा कुल 7257 किलोमीटर लम्बी है - उत्तर-पश्चिम में 2670 किमी. अफगानिस्तान के साथ, पश्चिम में 959 किमी. ईरान के साथ, उत्तर-पूर्व में 438 किमी. भारत के साथ। भारत के 4 राज्यों- जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात से इसकी सीमा लगी हुई है।

कश्मीर का मुद्दा

कश्मीर की भू-अवस्थिति का सामरिक महत्व दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होने के कारण स्वतंत्रता के ठीक बाद से दोनों देशों में इसे लेकर विवाद होने लगे। 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान ने कबीलाइयों की सहायता से कश्मीर पर हमला कर दिया।

महाराजा हरिसिंह ने घबराकर 27 अक्टूबर, 1947 में भारत के साथ कश्मीर के विलय पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे भारत की सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे हटाना आरंभ कर दिया। भारतीय प्रधानमंत्री की शांतिपूर्ण हल खोजने की चेष्टा में भारत संयुक्त राष्ट्र संघ में चला गया, जिससे तत्कालीन स्थिति में युद्ध विराम हो गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने युद्ध विराम तथा जनमत संग्रह करवाने को कहा, किंतु सहमति नहीं बनने से जनमत संग्रह टलता रहा। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा गठित कमीशन की अनुशंसा पर जनवरी, 1948 में युद्ध विराम की स्थिति में मौजूद रेखा को लाइन आफ कंट्रोल (LOC) कहा गया। कश्मीर का 32,000 वर्ग किमी. क्षेत्र पाक अधिकृत कश्मीर बन गया। अभी तक यह मामला सुलझ नहीं पाया है।

सियाचीन का मुद्दा

सियाचीन जम्मू-कश्मीर के उत्तर में स्थित निर्जन भू-भाग है। आरंभ में यह भारत-पाक के बीच विवाद का मुद्दा नहीं था। 1981 में अमेरिका की संस्था द्वारा पाकिस्तान के हिस्से में सियाचीन को दर्शाया गया, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी। अप्रैल, 1984 में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के माध्यम से पाक सेना को हटाकर भारत ने अपनी चौकियां स्थापित की।

चीन का सिक्यांग क्षेत्र

अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया के स्थानों की निगरानी रखे जाने के लिहाज से इस क्षेत्र का अत्यंत सामरिक महत्व है। वर्तमान में भारतीय फौजें 75-5 R.M. ग्लेशियर को कब्जे में कर अच्छी स्थिति में हैं। यह क्षेत्र पाक अधिकृत कश्मीर एवं पाकिस्तान द्वारा चीन को हस्तांतरित भूमि के बीच अवस्थित त्रिकोणीय क्षेत्र है। सियाचीन का असैन्यीकरण (Dimilitarisation of Siyachen Neweheatline) पाकिस्तान चाहता है कि भारत यहां से अपनी सेनाओं को बुला ले। भारत का पक्ष है कि पाकिस्तान NJ9842 की लंबवत रेखा (AGPL) को माने, तभी वह अपनी सेनायें बुलाएगा। यह क्षेत्र अत्यंत ठंडी जलवायुवीय दशाओं में अवस्थित है, इस वजह से यहां पर बिना युद्ध किए ही सैनिकों की मृत्यु कभी बर्फीले तूफान में दबकर, कभी ठंड से हो जाती है। इसी कारणवश इस क्षेत्र के असैन्यीकरण की बात को विभिन्न मंचों पर उठाया जा रहा है। हालांकि अभी तक इस पर सहमति नहीं बनी है।

सिंधु जल बंटवारा

भारत-पाक दोनों देशों की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। ऐसे में दोनों देशों में हिमालय से निकलने वाली सदावाहिनी नदियों के बीच जल का न्यायपूर्ण वितरण नहीं हो पाया है। भारत एक ऊपरी नदी तट (Upper Riparian) देश हैं, वहीं पाकिस्तान एक निम्न नदी तट (Lower Riparian) देश हैं। 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत-पाक के मध्य सिंधु जल विभाजन संधि हुई। इसका उद्देश्य सिंधु एवं उसकी सहायक नदियों के जल का बंटवारा है। इस संधि के तहत पूरे नदी क्षेत्र को तीन नदियों में बांटा गया है- जिसमें भारत पूर्वी तीन नदियों यथा-सतलज, ब्यास एवं रावी का प्रयोग कर सकता है।

पाकिस्तान के द्वारा यह आरोप लगाया जाता रहा है कि भारत बांध का निर्माण कर उसकी जल आपूर्ति को सीमित कर देता है। साथ ही भारत कभी भी ज्यादा पानी छोड़कर पाकिस्तान में बाढ़ की समस्या उत्पन्न कर सकता है। किशनगंगा, तुलबुल, बगलिहार आदि कई नदी परियोजनाओं पर पाकिस्तान के द्वारा अवरोध लगाया गया तथा मामले को अंतर्राष्ट्रीय पंचाट तक लेकर जाया गया।

सरक्रीक का मुद्दा

सरक्रीक पाकिस्तान के सिंध प्रांत एवं गुजरात की सीमा पर अरब सागर में स्थित एक दलदली क्षेत्र है। यहां की सीमा का निर्धारण नहीं हो सका है। यह क्षेत्र खनिज, तेल एवं गैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों से भरा पड़ा है, किंतु सीमा निर्धारण न हो पाने की वजह से दोनों देश इन संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाए हैं। समस्या का मूल कारण है, इस स्थान का दलदली होना। 1914 में जहां यह निर्धारित किया गया था, आज यह स्थान 250 वर्ग किमी. क्षेत्र और बढ़ गया है।

भारत का मत है कि 1925 में सिंध एवं कच्छ के शासकों ने बीच जलधारा में सीमा का निर्धारण किया था तथा भारत भी वही सीमा मानता है।

बलूचिस्तान एवं भारत

बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। यह 11 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ, किंतु पाकिस्तान ने 27 मार्च, 1948 को इस पर जबरन कब्जा कर लिया। इसकी सीमाएं ईरान, अफगानिस्तान से मिलने के कारण यह क्षेत्र सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां के लोगों का पाकिस्तानी सेना शोषण कर रही है तथा पाकिस्तान के अन्य प्रांतों की जनता को यहां बाहर से लाकर बसा रही है, जिससे बलूच यहां अल्पसंख्यक हो जाएं। इन्हीं कारणों से यहां काफी समय से स्वतंत्रता की मांग की जा रही है।

PoK का मुद्दा

पाक अधिकृत कश्मीर, कश्मीर का वह भाग है, जिस पर पाकिस्तान अपना अधिकार जताता है। साथ ही इस क्षेत्र में पाकिस्तान का प्रशासन है। स्वतंत्रता उपरांत कबाइली हमले के बाद भारत पाक युद्ध विराम के फलस्वरूप कश्मीर का यह हिस्सा पाक कब्जे में रह गया था।

भारत इसे अपना अभिन्न अंग मानता है, इसी कारण जम्मू-कश्मीर विधानसभा में PoK के लिए सीटें रिक्त करके रखी गयी है। भारत इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भी जा चुका है।

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय विदेशी नीति में आए परिवर्तन के परिणामस्वरूप भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा बलूचिस्तान एवं PoK में पाक सेना द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के मामले को उठाया गया तथा भारतीय प्रतिनिधि द्वारा इसे संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया गया।