21वीं विधि आयोग

21वां विधि आयोग 2015 में बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में 3 वर्ष की अवधि के लिए स्थापित किया गया था। इसने विभिन्न शीर्षकों के अधीन 15 रिपोर्ट प्रस्तुत की है। प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

बच्चों की सुरक्षा विधेयक, 2016 (रिपोर्ट 263)

विधेयक को हेग कन्वेंशन, 1980 के साथ जोड़ा जाना चाहिए।

(रिपोर्ट 267)

आयोग ने द्वेषपूर्ण भाषण पर विचार करने के लिए कुछ मानदंडों की सिफारिश की, जिनमें भाषण का आक्रामक होना और भावना के चरम रूप को प्रकट करना, उकसाने वाला भाषण (भेदभाव सहित), भाषण के लेखक की स्थिति, भाषण से पीडि़तों की स्थिति, भाषण प्रस्तुत करते समय भाषण की क्षमता या प्रभाव, भाषण का संदर्भ आदि को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

डीएनए प्रोफाइलिंग (रिपोर्ट 271)

एक डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए, जो डीएनए प्रयोगशालाओं की स्थापना और मान्यता प्रदान करने के लिए प्रक्रियाओं एवं मानकों को निर्धारित करेगा। यह डीएनए प्रयोगशालाओं से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के संबंधित मंत्रालयों / विभागों को सलाह भी देगा।

  • डीएनए प्रोफाइलिंग का उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान के अलावा अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए नहीं किया जाएगा।
  • केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय डीएनए डेटा बैंक और राज्यों के लिए क्षेत्रीय डीएनए डेटा बैंक स्थापित किया जाएगा। मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं से प्राप्त डीएनए प्रोफाइल को संग्रहित करने के लिए डेटा बैंक जिम्मेदार होंगे।
  • डीएनए प्रोफाइल के रख-रखाव और उनके उपयोग के संबंध में सख्त गोपनीयता बरती जाएगी।
  • कानून के जरिए ‘यातना एवं अन्य क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार या दंड के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कनवेंशन’का कार्यान्वयन।
  • आयोग ने आसान प्रत्यर्पण सुनिश्चित करने के लिए यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसमर्थन की सिफारिश की।
  • अत्याचार निवारण विधेयक, 2017 में कुछ बदलाव भी सुझाए गए थे।