एजेंडा 2030 और भारत

भारत लंबे समय से सतत विकास के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है और इसके मूलभूत सिद्धांतों को अपनी विभिन्न विकास नीतियों में शामिल करता आ रहा है। भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत एजेंडा 2030 के एक महत्वपूर्ण लक्ष्य गरीबी दूर करने के उद्देश्यपूर्ति के लिये सबसे निर्धन वर्ग के कल्याण को प्रमुखता दी गई है।

एजेंडा 2030

वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में अगले 15 वर्षों के लिये सतत विकास लक्ष्य (sustainable development goals-SDG) निर्धारित किये गए थे।

  • उल्लेखनीय है कि 2000-2015 तक की अवधि के लिये सहड्डाब्दि विकास लक्ष्यों (millennium development goals-MDG) की प्राप्ति की योजना बनाई गई थी, जिनकी समयावधि वर्ष 2015 में पूरी हो चुकी थी।
  • तत्पश्चात, आने वाले वर्षों के लिये एक नये एजेंडा (SDG-2030) को औपचारिक तौर पर सभी सदस्य राष्ट्रों ने अंगीकृत किया था।
  • सरकार द्वारा कार्यान्वित किये जा रहे अनेक सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप हैं, जिनमें मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान,दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, स्किल इंडिया और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आदि शामिल हैं।
  • इसके अलावा बुनियादी सुविधाओं के विकास और गरीबी समाप्त करने से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • केंद्र सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखने तथा इसके समन्वय की जिम्मेदारी, नीति आयोग को सौंपी है।
  • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को संबंधित राष्ट्रीय संकेतक तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। मंत्रालय संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा प्रस्तावित संकेतकों की वैश्विक सूची से उन संकेतकों की पहचान करेगा, जो हमारे राष्ट्रीय संकेतक ढांचे के अंतर्गत अपनाए जा सकते हैं।
  • इससे जो परिणाम प्राप्त होंगे, उससे स्वैछिक राष्ट्रीय समीक्षा प्रक्रिया में उपयोग किया जाएगा। यह विचारणीय है कि भारत इसकी प्रमुख उपलब्धियों जैसे-स्वच्छ भारत, वित्तीय समावेशन आदि को उजागर करेगा।
  • सरकार पहले ही मौजूदा कार्यक्रमों और नीतियों की पहचान कर चुकी है; जिन्हें सतत विकास लक्ष्यों के अंतर्गत विभिन्न लक्ष्यों से सम्बद्ध किया गया है।