वायु प्रदूषण शमन

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019 के अनुसार, 2017 में, PM2.5 (2.5 माइक्रोनमीटर से कम आकार के कण) का वार्षिक अनावरण (exposure) दक्षिण एशिया में सबसे अधिक था। नेपाल (100mg/ m3), भारत (91mg/ m3), बांग्लादेश (61/g/m3), और पाकिस्तान (58, g/m3) में सबसे अधिक जोखिम था। एयर पोकलिप्स III (Airpocalypse III), ग्रीनपीस द्वारा जारी की गई रिपोर्ट है, जिसमें वर्ष 2017 के लिए 313 शहरों और कस्बों में वायु प्रदूषण के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इनमें से 241 (77%) शहरों और कस्बों में PM10 (कण जो 10 माइक्रोमीटर या उससे कम हैं) का स्तर राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) से ऊपर पाया गया है।

यूएन की फ्रंटियर रिपोर्टः यह रिपोर्ट में नाइट्रोजन प्रदूषण पर एक अध्याय है। यह पशुधन के कारण नाइट्रोजन के बढ़ते स्तर को दर्शाता है, परिवहन और कृषि नाइट्रोजन प्रदूषण का कारण है।

भारतीय नाइट्रोजन मूल्यांकन से पता चलता है कि भारत में कृषि नाइट्रोजन प्रदूषण का मुख्य स्रोत है, जिसमें अनाज उत्पादन का सबसे ज्यादा योगदान है। गेहूं और चावल, नाइट्रेट्स के रूप में 33 प्रतिशत नाइट्रोजन का उपभोग करते हैं, जबकि 67 प्रतिशत नाइट्रोजन प्रदूषण का कारण बनते हैं; क्योंकि यह मिट्टी के माध्यम से रिसता है।

वायु एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, जो स्वस्थ मानव संसाधन और स्थायी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके प्रदूषण से मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ पैदा हुई हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण गर्म हुआ है और फसलों की उत्पादकता में कमी आई है। इससे खाद्य सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ है। इसने सरकार को तत्काल कार्य करने के लिए प्रेरित किया है।

रोग का कारण

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के एक प्रोजेक्ट मेजर एयर पॉल्यूशन सोर्सेज (GBD MAPS) में पाया गया कि भारत में (2015), घरेलू बायोमास का जलाया जाना कुल जनसंख्या-भारित PM2.5 सांद्रता के लगभग 24% के लिए जिम्मेदार था। 2017 में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से लगभग 4,72,000 लोगों की मौत हुई, जिसका कारण ओजोन एक्सपोजर है। इनमें से अधिकांश चीन (38%) और भारत (31%) में हुए थे। 2017 में उच्च रक्त शर्करा और उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक के बाद, PM2.5 को टाइप 2 मधुमेह से होने वाली मौतों के लिए तीसरा प्रमुख जोखिम कारक पाया गया था। यह मौत भारत में सबसे अधिक था, जहां PM2.5 के कारण 55,000 लोगों की मौत हुई थी।

पार्टिकुलेट मैटर के स्रोत

भारत में PM2.5 स्रोतों में ठोस ईंधनों का जलाया जाना; निर्माण, सड़कों और अन्य गतिविधियों से धूल; औद्योगिक और बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले को जलाया जाना; ईंट उत्पादन; परिवहन और डीजल से चलने वाले उपकरण आदि हैं। 2017 में, भारत में अनुमानित 846 मिलियन लोग (60% आबादी) घरेलू वायु प्रदूषण का सामना कर रहे थे।

सरकार की पहल

वायु प्रदूषण के खतरे की गंभीरता के मद्देनजर अतीत में सरकार की पहलें:

व्यापक कार्य योजना (CAP) 2018: केंद्र सरकार ने 2018 में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और शमन के लिए एक व्यापक कार्य योजना (CAP) अधिसूचित की। व्यापक कार्य योजना के कार्यान्वयन के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों की पहचान कर ली गई है।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लानः दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन के लिए 12 जनवरी, 2017 को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) अधिसूचित किया गया था। यह चार वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की श्रेणियों को ध्यान में रखते हुए प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है, अर्थात, मॉडरेट टू पुअर, वेरी पुअर, सीवर और सीवर+ या इमरजेंसी के आधार पर। व्यापक कार्य योजना प्रतिक्रिया के लिए वर्गीकृत उपायों और कार्यान्वयन एजेंसियों की भी पहचान करता है।

समीर (SAMEER) ऐप लॉन्च किया गया है, जिसमें वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले गतिविधियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के प्रावधान के साथ-साथ वायु गुणवत्ता की जानकारी जनता के लिए उपलब्ध है।

एक समर्पित मीडिया कॉर्नर, ट्विटर और फेसबुक अकाउंट बनाया गया है। यह हवा की गुणवत्ता से संबंधित जानकारी तक पहुंच प्रदान करने के साथ ही शिकायत दर्ज कराने का एक मंच प्रदान करता है।

राष्ट्रीय हरित वाहिनी (NGC) कार्यक्रम के तहत लगभग एक लाख स्कूलों की पहचान इको-क्लबों के रूप में की गई है, जिसमें लगभग तीस लाख छात्र विभिन्न पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।

हाल ही में की गई सरकार की पहल

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी): एनसीएपी का समग्र उद्देश्य देश भर में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाना और जागरुकता एवं क्षमता निर्माण गतिविधियों को मजबूत करना है।

एनसीएपी की अन्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • ग्रामीण निगरानी स्टेशन सहित, देश में निगरानी स्टेशनों की संख्या बढ़ाना;
  • प्रौद्योगिकी सहायता;
  • जागरुकता पर जोर देना और क्षमता निर्माण की पहल;
  • निगरानी उपकरण के प्रमाणन के लिए प्रमाणन एजेंसियों की स्थापना करना;
  • प्रवर्तन पर जोर;
  • विशिष्ट क्षेत्रीय हस्तक्षेप आदि।

NCAP को कम वित्तीय सहायता उपलब्ध हो पाती है और इसको कोई कानूनी समर्थन भी नहीं है। इसके बारे में केवल यह उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वायु अधिनियम, 1986 के अनुरूप इसे लागू करेगा।

  • सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्टः सीजीडी नेटवर्क को देश के नागरिकों को साफ कुकिंग फ्यूल (यानी पीएनजी) और ट्रांसपोर्टेशन फ्यूल (यानी सीएनजी) की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रारंभ किया गया है। प्राकृतिक गैस की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने से औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों को सीजीडी नेटवर्क के विस्तार का लाभ मिलेगा।

राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI): 17 सितंबर, 2014 को जारी हुआ था। नया सूचकांक आठ मापदंडों को मापता है। इसमें छः AQI श्रेणियां हैं, अर्थात् अच्छा, संतोषजनक, मध्यम प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर। AQI आठ प्रदूषकों (PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, और Pb) को मापेगा।

चुनौतियां

  • हवा को प्रदूषित करने के नैतिक जोखिम है, क्योंकि यह एक निःशुल्क संसाधन है।
  • प्रदूषण के परिणामों के संबंध में जनता के बीच ज्ञान की कमी है।
  • उत्सर्जन मानकों का खराब अनुपालन।
  • ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के साथ स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की प्रतियोगिता।
  • स्वच्छ ऊर्जा के लिए उच्च प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता है।

सुझाव

  • प्रदूषण उन्मूलन उपायों के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
  • सरकार के पर्यावरण विधायी ढांचे में “पोल्यूटर पे प्रिंसिपल” सिद्धांत परिलक्षित होना चाहिए।
  • नाइट्रोजन प्रदूषण संबंधी मुद्दों को एक अम्ब्रेला कानून के तहत लाया जाना चाहिए।
  • निजी निवेश लाने और सरकारी प्रयासों के पूरक के रूप में पीपीपी मॉडल का उपयोग किया जाना चाहिए।