बोडो समस्या

27 जनवरी 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री की उपस्थिति में 50 वर्षों से चले आ रहे बोडो समस्याके समाधान के लिये बोडो संगठनों के साथ समझौता किया गया। इस समझौते के बाद 1500 से अधिक हथियारधारी सदस्य हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हुए।

इस समझौते के तहत भारत सरकार और राज्य सरकार के विशेष विकास पैकेज द्वारा असम में बोडो क्षेत्रों के विकास के लिए विशिष्ट परियोजनाएं शुरू करने के साथ-साथ बोडो आंदोलन में मारे गए लोगों के प्रत्येक परिवार को 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।

यह समझौता उत्तर पूर्व की प्रगति और वहां के लोगों के सशक्तिकरण के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे असम की अखंडता का मार्ग प्रशस्त हुआ।

इस समझौता का उद्देश्य बीटीसी (बोड़ोलैण्ड टेरिटेरियल कौंसिल) के क्षेत्र और शक्तियों को बढ़ाने और इसके कामकाज को कारगर बनाना है।

इसके साथ बोडो की सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय पहचान को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना भी है।

समझौते के अन्य बिंदुओं में आदिवासियों के भूमि अधिकारों के लिए विधायी सुरक्षा प्रदान करना और जनजातीय क्षेत्रों का त्वरित विकास सुनिश्चित करने के साथ-साथ एनडीएफबी गुटों के सदस्यों का पुनर्वास करना भी शामिल है।

समझौते के प्रमुख विशेषता

  • समझौते से संविधान में छठी अनुसूची के अनुच्छेद 14 के तहत एक आयोग गठन करने का प्रस्ताव है जो बहुसंख्यक गैर-आदिवासी आबादी कि बीटीएडी (बोड़ोलैंड टेरिटेरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट) से सटे गांवों को शामिल करने और बहुसंख्यक आदिवासी आबादी की जांच करने का काम करेगा।
  • असम सरकार निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बीटीएडी के बाहर बोडो गांवों के विकास के लिए बोडो कचारी कल्याण परिषद की स्थापना करेगी। असम सरकार बोडो भाषा को राज्य में सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में अधिसूचित करेगी और बोडो माध्यम स्कूलों के लिए एक अलग निदेशालय की स्थापना करेगी।
  • वर्तमान समझौते के तहत NDFB (नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड) गुट हिंसा का रास्ता छोड़ने के साथ-साथ आत्मसमर्पण करेंगे और इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक महीने के भीतर अपने सशस्त्र संगठनों को खत्म कर देंगे।
  • भारत और असम सरकार इस संबंध में निर्धारित नीति के अनुसार एनडीएफबी (पी), एनडीएफबी (आरडी) और एनडीएफबी (एस) के लगभग 1500 से अधिक कैडरों के पुनर्वास के लिए आवश्यक उपाय भी करेगी।