एंडिंग लर्निंग पावर्टी

अक्टूबर, 2019 को विश्व बैंक द्वारा "एंडिंग लर्निंग पावर्टी" (Ending Learning Poverty) नामक एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2030 तक, पढ़ने में असमर्थ 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों की संख्या को कम करके कम से कम आधी करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु साक्षरता के लिए स्पष्ट लक्ष्यों, साधनों एवं उपायों के प्रति राजनीतिक और तकनीकी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है। लर्निंग पावर्टी में 10 वर्ष की आयु के बच्चों का वह प्रतिशत, जो एक सरल कहानी को भी पढ़ने एवं समझने में असमर्थ हेाते हैं को परिभाषित किया गया है। विश्व बैंक का अनुमान है कि निम्न एवं माध्यम आय वर्ग वाले देशों में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले 53 प्रतिशत बच्चे एक सरल कहानी भी पढ़ और समझ नहीं पाते हैं।

लर्निंग पॉवर्टी समाप्ति हेतु अनुशंसाएं

यह आवश्यक है कि मूल्यांकन प्रणालियों में मूल्यांकन परिणामों के आधार पर शैक्षणिक सुधारों हेतु निर्देश देने के लिए सुपरिभाषित उपायों को शामिल किया जाना चाहिए। इन प्रणालियों हेतु परिणामों की उचित अभिकल्पना, कार्यान्वयन, प्रलेखन और प्रचार-प्रसार की आवश्यकता के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि मूल्यांकन परिणाम समय के साथ देश के भीतर तुलनीय बने रहें, ताकि देश की प्रगति का निरंतर मापन हो सके।

  • शिक्षकों की गुणवत्ता हेतु सुधारः
    • शिक्षकों के गुणात्मक चयन को बढ़ावा देना।
    • शिक्षकों को निरंतर सुधार में समर्थ बनाने के लिए निरंतर समर्थन एवं प्रेरणा प्रदान करना।
    • प्रौद्योगिकी के बुद्धिमतापूर्ण उपयोग द्वारा शिक्षकों की प्रत्येक छात्र-छात्र तक पहुंचने की क्षमता बढ़ाना तथा उनके सुदृढ़ता और विकास में वृद्धि करना।
  • परिवारों एवं समुदायों की भूमिकाः शिक्षा की मांग सृजित करने, शिक्षा हेतु बेहतर वातावरण तैयार करने तथा सही शिक्षा सुधारों का समर्थन करने में परिवारों एवं समुदायों की भूमिका पर पुनः ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • बहु-क्षेत्रकीय दृष्टिकोणः सभी बच्चे पढ़-लिख सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए बेहतर जलापूर्ति, स्वास्थ्य और पोषण तथा वंचित आबादी के लिए बेहतर सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ प्रबंधन तथा वित्तपोषण की आवश्यकता है।
  • आयु एवं कौशल के अनुरूप सामग्री उपलब्ध करानाः गुणवत्ता युक्त व आयु के अनुरूप उपयुक्त पठन-पाठन सामग्री की उपलब्धता एक सुदृढ़ प्रारंभिक साक्षरता की पहचान है। जिन बच्चों की पुस्तकों तक पहुंच नहीं होती है या जिनका मुद्रित या डिजिटल और लिखित सामग्रियों से संपर्क नहीं होता है, उन्हें सामान्यतः पढ़ने-लिखने-सीखने के क्रम में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।