अंतरराष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम टेस्ट

वर्ष 2021 में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम टेस्ट [Programme for International Student Assessment (PISA) TEST] में भारत भागीदारी करेगा। PISA अंतरराष्ट्रीय छात्रों के मूल्यांकन हेतु OECD (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) का एक कार्यक्रम है। इस टेस्ट का उद्देश्य व्यापक विश्लेषण करना है कि किसी देश में शिक्षा प्रणाली अपने छात्रों को उच्च शिक्षा और इसके पश्चात् रोजगार के लिए तैयार करने के संदर्भ में किस दिशा में कार्य कर रही है। PISA टेस्ट प्रत्येक तीन वर्ष पश्चात् आयोजित किया जाता है और आगामी टेस्ट को वर्ष 2021 में आयोजित किया जाएगा। यह प्रथम बार वर्ष 2000 में आयोजित किया गया था।

इस टेस्ट के अंतर्गत 15-16 वर्ष के मध्य की आयु के उन छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है, जो किसी शैक्षणिक संस्था में 7वीं या इससे ऊपर की कक्षा में नामांकित हैं।

इस टेस्ट में गणित, पठान और विज्ञान तथा नवोन्मेषी विषयों, जैसे कि सहयोगात्मक समस्या-समाधान एवं वित्तीय साक्षरता में छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। परंपरागत टेस्ट और परीक्षाओं के विपरीत, PISA टेस्ट छात्रों का मूल्यांकन उनकी स्मरण शक्ति के आधार पर नहीं, बल्कि उनकी अनुप्रयोग क्षमताओं के आधार पर करता है।

भारत की भागीदारी

  • भारत ने इससे पूर्व वर्ष 2009 (मात्र एक बार) में PISA टेस्ट में भाग लिया था, जिसमें इसने 73 देशों की सूची में 72वां स्थान प्राप्त किया था। तात्कालीन सरकार ने वर्ष 2009 के खराब परिणामों के लिए इसमें शामिल "अप्रसांगिक (out of context)" प्रश्नों को उत्तरदायी ठहराया था और भविष्य में इसमें भाग न लेने का निर्णय लिया था। हालांकि, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने PISA टेस्ट 2021 के लिए भारत की भागीदारी की पुष्टि की है।
  • भारत से वर्ष 2021 में होने वाले PISA टेस्ट में चंडीगढ़ के सरकारी विद्यालयों और साथ ही 600 नवोदय विद्यालयों तथा 3,000 केंद्रीय विद्यालयों के लगभग 1.75 लाख छात्र भाग लेंगे।

भारत के लिए महत्व

  • यह भारतीय छात्रों की मान्यता और स्वीकार्यता का प्रसार करेगा तथा उन्हें 21वीं सदी की वैश्विक अर्थव्यवस्था हेतु तैयार करेगा।
  • PISA-2021 में भाग लेने से विद्यालयी शिक्षा प्रणाली में प्रतिस्पर्द्धा आधारित परीक्षा सुधार को लागू करने और रटंत शिक्षा में कमी करने में सहायता प्राप्त होगी।
  • इस टेस्ट में सतत् भागीदारी से देशों को प्रभावी शैक्षणिक नीतियों के संबंध में एक-दूसरे से सीखने तथा अन्य देशों की उत्तम अधिगम प्रणालियों का अनुसरण कर अपनी प्रणालियों में सुधार करने में सहायता प्राप्त होगी।