निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2019

अधिनियम द्वारा कक्षा 8वीं तक नो डिटेंशन के प्रावधान को संशोधित किया गया तथा प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में कक्षा 5 और कक्षा 8 में एक नियमित परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान किया गया। यदि कोई बच्चा परीक्षा में असफल होता है, तो उसे अतिरिक्त निर्देश दिया जाएगा, और फिर से परीक्षा ली जाएगी। यदि वह पुनर्संयोजन में भी विफल रहता है, तो संबंधित राज्य या केंद्र सरकार का स्कूल उक्त छात्र को उसी कक्षा में रोकने या न रोकने की अनुमति देने का निर्णय ले सकती है।

संशोधन का सकारात्मक पक्ष

  1. अगली कक्षा में सभी बच्चों को स्वचालित रूप से बढ़ावा देने से बच्चों को सीखने और शिक्षकों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहन कम हो जाता है।
  2. प्रारंभिक शिक्षा में गिरते शिक्षण स्तरों को देखा गया है। इसलिए इस तरह के कदम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

संशोधन का नकारात्मक पक्ष

  1. एक बच्चे को अनुत्तीर्ण होने के बाद उसी कक्षा में रोका जाना नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि यह हतोत्साहित करता है और उन्हें स्कूल छोड़ने की ओर ले जाता है।
  2. अधिनियम में यह उल्लेख किया गया है कि एक पुनः परीक्षा आयोजित की जाएगी, लेकिन इस बारे में विस्तृत प्रावधान उस परीक्षा का संचालन के विषय में विवरण नहीं है।
  • राज्य को उच्च स्कूल छोड़ने की दर एवं कमजोर गुणवत्ता परिणामों को संतुलित करना चाहिए। इस अधिनियम के संरचनात्मक कमियों को नियंत्रण किया जा सकता है, जैसे योग्य शिक्षक सुनिश्चित करना, उचित शिक्षक-छात्र अनुपात सुनिश्चित करना, गैर-शिक्षण गतिविधियों से शिक्षकों को छूट देना आदि।