वैश्विक भूमि क्षरण आंकलन रिपोर्ट

28 से 30 जनवरी, 2019 के मध्य गुयाना की राजधानी जॉर्जटाउन में आयोजित मरुस्थलीकरण रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCCD) के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए समिति के 17वें सत्र (Committee for the Review of the Implementation -CRIC17) के दौरान जारी प्रारम्भिक आंकलन रिपोर्ट के अनुसार इस सहस्राब्दी के पहले 15 वर्षों में विश्व की 20% उपजाऊ भूमि का क्षरण (Degradation) हुआ है।

प्रमुख तथ्य

  • UNCCD पक्षकारों के 12वें सम्मेलन में पक्षकारों ने सतत विकास लक्ष्य 15.3 का समर्थन किया। इस लक्ष्य के तहत भूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality-LDN) अवधारणा द्वारा वर्ष 2030 तक उपजाऊ भूमि की अत्यधिक क्षति को रोकना है।
  • सितंबर 2018 तक 77 देशों ने भूमि क्षरण को रोकने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं और उनमें से 46 को औपचारिक रूप से सरकारों द्वारा अपनाया गया है।
  • वृक्षों से आच्छादित क्षेत्र प्रमुख भूमि उपयोग वर्ग (Land Use Class) बने हुए हैं। वृक्षों से आच्छादित क्षेत्र कुल भूमि क्षेत्र का 32.4% है। हालांकि 2005 के बाद वनों की कटाई की दर धीमी हुई है, फिर भी वनों का सिकुड़ना जारी है।
  • 2000 से 2005 तक वैश्विक स्तर पर वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रों में 141,610 वर्ग किमी. तक की गिरावट हुई, लेकिन 2015 तक स्थिति में सुधार हुआ और वर्ष 2000 के स्तरसे केवल 35,204 वर्ग किमी- (-0.1%) की शुद्ध गिरावट दर्ज की गई।
  • मध्य एवं पूर्वी यूरोप, उत्तरी भूमध्य और एशिया में वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रों में वृद्धि हुई है। लैटिन अमेरिकी, कैरेबियाई देशों और अफ्रीका में ऐसे क्षेत्रों में कमी आई है। वैश्विक स्तर पर वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रों का 60% मध्य एवं पूर्वी यूरोप, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों में हैं।
  • आंकड़ों के अनुसार कुल रिपोर्ट किए गए भूमि क्षेत्र में वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रों के बाद, घास के मैदान, फसल, आर्द्रभूमि और कृत्रिम क्षेत्र क्रमशः 23.1%, 17.7%, 4.2% और 0.8% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • कृत्रिम क्षेत्र नामक भूमि वर्ग में सबसे अधिक परिवर्तन हुआ है, जिसमें मुख्य रूप से शहरीकरण के लिए भूमि का प्रयोग हुआ है। इस भूमि वर्ग में 2000-2015 की अवधि में 32.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।

भूमि क्षरण के कारण एवं प्रभाव

  • प्रत्यक्ष कारणों में वनों की कटाई, चराई और अनुचित मृदा प्रबंधन प्रमुख हैं।
  • अप्रत्यक्ष कारणों में जनसंख्या दबाव, भूमि अधिकार नियम (Land tenure), गरीबी, खराब गवर्नेंस और शिक्षा की कमी प्रमुख हैं।
  • मरुस्थलीकरण से निपटने के वैश्विक प्रयासों की शुरुआत 1977 में हुई थी। हालांकि, खराब भूमि उपयोग और बढ़ते चरम एवं अनियमित मौसम प्रभावों के कारण उत्पादक भूमि का तेजी से नुकसान अब पहले से कहीं अधिक लोगों को प्रभावित कर रहा है। भूमि और मृदा का निरंतर क्षरण वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और आर्थिक विकास के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि और भोजन, खाद्य आपूर्ति, ईंधन के लिए बढ़ती मांगों के कारण भूमि पर दबाव बढ़ रहा है।