नदी विवाद पर सरकार का प्रयास

जल शक्ति मंत्रालयः 31 मई, 2019 को केंद्र सरकार ने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय तथा पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को विलय कर जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य सभी जोखिमपूर्ण मुद्दों जैसे- जल की कमी, जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन, दूषित भौमजल, प्रदूषित नदियों, स्वच्छ जल की घटती आपूर्ति तथा अंतराष्ट्रीय एवं अन्तराज्यीय जल विवादों को निपटाना है।

कावेरी जल प्रबंधन योजना 2018: 1 जून, 2018 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा कावेरी जल प्रबंधन योजना 2018 के तहत कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और कावेरी जल विनियमन समिति के गठन को अधिसूचित किया। फ़रवरी 2018 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को छः सप्ताह की अवधि में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के गठन का निर्देश दिया था।

वार्ता समितिः 28 जनवरी, 2017 को ओडिशा सरकार ने छत्तीसगढ़ के साथ महानदी नदी जल विवाद पर केंद्र सरकार द्वारा गठित वार्ता समिति को खारिज कर दिया तथा अधिनिर्णय के लिए एक न्यायाधिकरण के गठन की मांग की। महानदी लगभग समान रूप से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मध्य बहती है। इस नदी का विवाद का मुख्य कारण छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नदी पर जल बैराजों का निर्माण करना है, जिससे हीराकुंड बांध को आवश्यक जलापूर्ति में कमी हो सकती है।

अंतराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2017: 14 मार्च 2017 को केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने अंतराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2017 को लोकसभा में प्रस्तुत किया। इस विधेयक के माध्यम से अंतराज्यीय नदी जल विवादों के अधिनिर्णयन को सुव्यवस्थित करने और वर्तमान कानूनी एवं संस्थागत ढांचे को मजबूत बनाने का प्रस्ताव दिया। यह विधेयक नदी जल विवाद को ट्रिब्यूनल के समक्ष भेजे जाने से पहले केंद्र सरकार द्वारा संबंधित विशेषज्ञों से गठित विवाद समाधान समिति के माध्यम से सौहार्द्रपूर्ण समझौते द्वारा सुलझाने का प्रस्ताव करता है।