मेक इन इंडिया

‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को एक महत्वपूर्ण निवेश गंतव्य और विनिर्माण, डिजाइन एवं नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में बढ़ावा देना है।

  • इस पहल ने 2025 तक विनिर्माण उत्पादन योगदान को सकल घरेलू उत्पाद के 25% तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत DIPP (औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग) इस पहल को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी है।

मेक इन इंडिया के उद्देश्यों में शामिल हैं

  • 27 विशिष्ट घरेलू विनिर्माण क्षेत्रों में दक्षता और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना।
  • निवेश, आधुनिक और कुशल बुनियादी ढाँचे के लिए अनुकूल वातावरण निर्माण।
  • विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्र खोलना।
  • सरकार और विनिर्माण उद्योग के बीच नई भागीदारी।

मेक इन इंडिया के क्षेत्रवार परिणाम

रक्षा विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, दूरसंचार, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स आदि सहित प्रमुख क्षेत्रों के लिए एफडीआई नीतियों को सरल और उदार बनाया गया है।

  • मौजूदा नियमों के सरलीकरण और युक्तिकरण के कारण ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में सुधार हुआ है। इसके कारण भारत, विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 63वें स्थान पर आ गया है।

नागरिक उड्डयन क्षेत्र

  • UDAN योजना ने पिछले 5 वर्षों में घरेलू एयरलाइन यात्रियों की आमद में 30% की वृद्धि की है।
  • ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का प्रस्ताव और अप्रयुक्त हवाई अड्डों के पुनरुद्धार को मंजूरी एवं संचालन किया गया है।
  • क्षेत्रीय हवाई संपर्क एवं पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार पैदा करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति जारी करना।
  • GAGAN (जीपीएस एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन सिस्टम) को शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य भारतीय हवाई क्षेत्र के संचार, नेविगेशन और एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट को आधुनिक बनाना है।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र

  • मेगा फूड पार्क और कोल्ड चेन प्रोजेक्ट्स का संचालन किया गया है, जिसके कारण देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि हुई है।
  • राष्ट्रीय परीक्षण व अंशशोधन प्रयोगशालाओं (NABL) और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त गुणवत्ता परीक्षण खाद्य प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है।

इस्पात क्षेत्र

सेल ने अपनी क्रूड इस्पात उत्पादन क्षमता को 12.8 मिलियन टन प्रतिवर्ष से 21.4 एमटीपीए तक बढ़ाने के लिए भिलाई, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर और बर्मपुर स्थित इस्पात संयंत्रों के आधुनिकीकरण एवं विस्तार कार्य प्रारंभ किया है, जिसमें राउरकेला, बर्नपुर, दुर्गापुर, बोकारो और सेलम का आधुनिकीकरण और विस्तार कार्य पूरा हो चुका है।

  • कच्चे इस्पात का उत्पादन 3.67% वार्षिक वृद्धि (CGR) की दर से 2014-15 के 88.979 मिलियन टन से बढ़कर 2018-19 में 106.565 एमटी (अनंतिम) हो गया है।
  • देश के GDP में इस्पात क्षेत्र का योगदान 2 प्रतिशत है वहीं इस्पात से संबंधित क्षेत्र लगभग 25 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र

  • एशिया का सबसे बड़ा मेडटेक जोन (AMTZ) आंध्र प्रदेश में स्थापित किया गया है, जो 200 स्वतंत्र विनिर्माण इकाइयों की मेजबानी करता है।
  • नए बायोइनक्यूबेटर और बायोटेक पार्क स्थापित करके भारत में बायोफार्मास्यूटिकल डेवलपमेंट में तेजी लाने के लिए नेशनल बायो-फार्मा मिशन की शुरुआत की गई है।
  • उत्तराखंड के काशीपुर में भारत का पहला सेल्यूलोसिक इथेनॉल प्रौद्योगिकी प्रदर्शन संयंत्र का उद्घाटन किया गया।
  • फाइटो-फार्मास्युटिकल्स के निर्माण के लिए जम्मू में वर्तमान गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (CGMP) प्लांट का उद्घाटन किया गया।

MSME सेक्टर

नई सरकारी प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSE) द्वारा MSME क्षेत्र से 25% की अनिवार्य खरीद को लागू किया गया।

  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) का शुभारंभ, जिसके कारण 1.5 लाख इकाइयां स्थापित हुई हैं।
  • ऊष्मायन प्रकोष्ठ की आईआईएफटी दिल्ली में उद्यमशीलता स्टार्ट-अप के लिए व्यापार और प्रौद्योगिकी में नवाचार के ज्ञान हेतु स्थापना।
  • आईआईएफटी दिल्ली में स्थापित उद्यमिता स्टार्ट-अप (केआईटीईटीएस) के लिए व्यापार और प्रौद्योगिकी में नवाचार के लिए ऊष्मायन सेल नॉलेज की स्थापना।
  • ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (TReDS) नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का शुभारंभ; जिसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की महत्वपूर्ण वित्तीय आवश्यकताओं को संबोधित करना है।

फार्मास्युटिकल सेक्टर

11 नेशनल इंस्टीटड्ढूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPERs) की स्थापना को मंजूरी दी गई है। अनिवार्य रिटर्न की ऑनलाइन फाइलिंग की सुविधा के लिए ‘फार्मा डेटा बैंक’ शुरू किया गया है।

  • कोरोनरी स्टेंट की कीमत को 85% तक कम हो गई है।
  • जनऔषधि भंडारों का संचालन तक सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयाँ पहुँचाने के लिए।
  • मूल्य निर्धारण और दवाओं की उपलब्धता से संबंधित उपभोक्ता की शिकायतों का निवारण करने के लिए फार्मा जन समाधन और फार्मा सहीदाम (SahiDam) को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा बनाया गया है।

पोर्ट्स और शिपिंग सेक्टर

सागरमाला परियोजना बंदरगाह क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विकास को बढ़ावा देती है यह माल परिवहन के लिए बुनियादी ढाँचा प्रदान करती है।

  • राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 ने पांच मौजूदा राष्ट्रीय जलमार्गों के अलावा 106 अतिरिक्त अंतर्देशीय जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (NWs) घोषित किया।
  • टर्न-अराउंड समय में काफी कमी आई है।
  • भारत में जलमार्ग जनित व्यापार 3.3% की वैश्विक विकास दर से दोगुना हो गया है।
  • तटीय आर्थिक क्षेत्रों (CEZ) और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) को बढ़ावा देना तथा उन्हें बंदरगाहों से जोड़ने के लिए समर्पित माल गलियारों का विकास करना।

चुनौतियां

  • भूमि अधिग्रहण कानून और कठोर श्रम कानूनों ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर अवरोध लगा दी है, जिससे भारत में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि बाधित होती है।
  • उद्योग प्रासंगिक प्रशिक्षण के साथ मानव पूंजी का विकास न हो पाना मेक इन इंडिया की सफलता के लिए बड़ी बाधा है।
  • श्रम अधिशेष बाजार की पृष्ठभूमि में बढ़ता स्वचालन बेरोजगारी और इसकी वृद्धि से कई समस्याएं उत्पन्न कर रहा है।
  • बढ़ता एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) और वैश्विक वित्त तक पहुंचा नहीं है।
  • जीएसटी, भूमि अधिग्रहण कानून जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को पारित करने में राजनीतिक गतिरोध या ग्रिडलॉक निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित करता है।
  • संघीय व्यवस्था में किसी पहल की सफलता के लिए उन राज्यों के बीच आम सहमति की आवश्यकता होती है, जिनमें इसकी कमी होती है।
  • जटिल कराधान व्यवस्था और भ्रष्टाचार व्यावसायिक भावनाओं को आहत करने के रूप में देखे जाते हैं।

विश्लेषण

आधुनिक और उच्च गति की संचार तकनीकों, एकीकृत लॉजिस्टिक्स व्यवस्था, नियमित बिजली आपूर्ति, परिवहन क्षेत्रों से कनेक्टिविटी, कच्चे माल की उपलब्धता आदि की बुनियादी जरूरतों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों को लैस करना आवश्यक है।

  • ‘निवेशक सुविधा सेल’ के बारे में जागरुकता बढ़ाना। यह वन स्टॉप सुविधा प्रदान करता है तथा विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • शिक्षा पाठड्ढक्रम को उन्नत करके, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को फिर से शुरू कर डिजिटल कौशल में सुधार के माध्यम से कर्मचारियों को फिर से तैयार करना।
  • जलवायु परिवर्तन को ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाकर विनिर्माण क्षेत्र द्वारा उत्सर्जन में निरंतर कमी करना।
  • विनिर्माण क्षेत्र में दीर्घकालिक प्रतिस्पर्द्धा के लिए अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी जो वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की एक नई जगह बनाने में मदद करेगी।
  • नया, पारदर्शी, प्रभावी और न्यायसंगत भूमि अधिग्रहण कानून लाना आवश्यक होगा।