स्टार्ट-अप इंडिया

स्टार्टअप इंडिया, भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य देश में नवाचार और स्टार्टअप के पोषण के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम का निर्माण करना है, यह स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा। इस पहल के माध्यम से सरकार का लक्ष्य स्टार्टअप, नवाचार और डिजाइन के माध्यम से विकास करना है। नोडल एजेंसी का औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (भारत) इसकी है।

स्व-प्रमाणन पर आधारित अनुपालन शासनः स्टार्टअप को 9 श्रम और पर्यावरण कानूनों के साथ अनुपालन (स्टार्टअप मोबाइल ऐप के माध्यम से) को स्व-प्रमाणित करने की अनुमति दी गई है।

स्टार्टअप इंडिया हबः पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए संपर्क का बिंदु बनाने और ज्ञान विनिमय तथा पूंजी तक पहुंच को सक्षम करने के लिए इसकी परिकल्पना की गई है।

मोबाइल ऐप और पोर्टल का रोलिंग-आउटः सभी व्यावसायिक जरूरतों और विभिन्न हितधारकों के बीच सूचना के आदान-प्रदान के लिए सरकार एवं नियामक संस्थानों के साथ बातचीत करने हेतु स्टार्टअप के लिए एकल मंच के रूप में सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है।

कम लागत पर कानूनी सहायता और फास्ट-ट्रैकिंग पेटेंट परीक्षणः केंद्र सरकार किसी भी संख्या में पेटेंट, ट्रेडमार्क या डिजाइन के लिए सुविधाकर्ताओं की पूरी फीस वहन करेगी, जो एक स्टार्टअप फाइल करते हैं और स्टार्टअप केवल देय वैधानिक शुल्क की लागत वहन करेगा।

स्टार्टअप्स से सार्वजनिक खरीद मानदंडः सरकार गुणवत्ता मानकों या तकनीकी मानकों में संबंधी किसी भी छूट के बिना ‘पूर्व अनुभव/कारोबार’ के मानदंडों से स्टार्टअप्स (निर्माण क्षेत्र में) को छूट देगी।

परिणाम

इन्क्यूबेशन, फंडिंग सपोर्ट और स्टार्टअप्स की मेंटरिंग का उल्लेख करने के साथ-साथ उनका पंजीकरण भी शामिल किया गया है।

  • अटल इनोवेशन मिशन ने इन्क्यूबेशन सेंटर मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जो मासिक आधार पर इन्क्यूबेटरों के प्रदर्शन, विश्लेषण का संचालन करता है।
  • नेशनल इंस्टीटड्ढूट ऑफ एक्सिलेंस में इनोवेशन सेंटर का निर्माण और उन्हें स्कूल की टिंकरिंग लैब से जोड़ा गया है।
  • स्टार्ट-अप इंडिया पोर्टल और स्टार्टअप इंडिया मोबाइल ऐप को स्टार्ट-अप इंडिया पहल से संबंधित सभी प्रश्नों के लिए वन स्टॉप समाधान प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है।
  • सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति ने स्टार्ट-अप और एमएसएमई के माध्यम से खरीद के लिए नियमों में ढील दी है।
  • इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड का गठन किया गया है, जो रिजॉल्यूशन प्रक्रिया के दौरान स्टार्टअप्स के तेजी से बाहर निकलने को सुनिश्चित करता है।

चुनौतियां

  • स्टार्ट-अप्स में विदेशी वेंचर कैपिटल निवेशकों के साथ-साथ बाहरी वाणिज्यिक उधार निधि को आकर्षित करना।
  • कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली बौद्धिक संपदा सेवाओं और संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करना।
  • स्टार्टअप कल्चर के रूप में विचारों और ज्ञान विनिमय के मुत्तफ़ प्रवाह को सक्षम करना अभी भी अपने आरम्भिक चरण में है।
  • इन्क्यूबेटर सेटअप के लिए निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का दोहन।
  • स्टार्ट अप्स पर नियामक बोझ को कम करके उन्हें अपने मुख्य व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करने और अनुपालन लागत कम रखने की अनुमति देता है।

निष्कर्ष/भावी प्रयास

  • भारत में सफल विश्व स्तरीय इन्क्यूबेटरों के निर्माण का समर्थन करने के लिए वार्षिक इन्क्यूबेटर ग्रैंड चैलेंज का आयोजन।
  • जैव-उद्यमिता की सुविधा के लिए जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना।
  • स्टार्टअप में बीज-पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उचित बाजार मूल्य से ऊपर निवेश पर कर छूट।
  • कम कानूनी लागत पर पेटेंट परीक्षा का तेजी से विकास सुनिश्चित करना।