नमामि गंगे कार्यक्रम

सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया। इस योजना की शुरुआत जून 2014 में की गयी थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी को साफ करना, प्रदूषण मुक्त करना है। तथा गंगा नदी के भीतर जैव विविधता को संरक्षण देना है। गंगा नदी के भीतर विभिन्न जलीय जंतु जैसे मछलियां, डॉल्फिन आदि को संरक्षण दिया जायेगा।

  • इस योजना के अंतर्गत देहरादून, नरोरा, इलाहाबाद, वाराणसी और बैरकपुर को जैव विविधता धरोहर संरक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
  • नमामि गंगे के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियां संचालित किये जाने का प्रस्ताव किया गयाः

1. निर्मल धारा/नगरपालिका द्वारा निरंतर सीवेज प्रबंधन सुनिश्चित करना

  • राज्यों को सीवेज संबंधी अवसंरचना के लिए केंद्रीय अनुदान का अतिरिक्त अंश मुहैया कराते हुए गंगा पर आधारित मुख्य परियोजनाएं चलाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • गंगा के तटों पर शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 51 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 118 शहरी बसावटों को सीवेज अवसंरचना के दायने में लाना।

2. निर्मल धारा-ग्रामीण क्षेत्रों का सीवेज प्रबंधन

  • गंगा तट पर सभी ग्राम पंचायतों (1,632) को वर्ष 2022 तक केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 1,700 करोड़ रुपये की लागत पर खुले में शौच से मुक्त कराना।

3. निर्मल धारा-औद्योगिक कचरे का प्रबंधन

  • जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) को अनिवार्य बनाना।
  • जल शुल्क को तर्कसंगत बनाना; ताकि पुनः इस्तेमाल को बढ़ावा मिले।
  • वास्तविक समय में पानी की गुणवत्ता की निगरानी।

4. अविरल धारा

  • गंगा के तटों पर नदी विनियामक क्षेत्र लागू करना।
  • कृषि संबंधी तर्कसंगत पद्धतियां, सिंचाई के कारगर तौर-तरीके।
  • गंगा ज्ञान केंद्र के माध्यम से गंगा के बारे में ज्ञान प्रबंधन करते हुए गंगा यूनिवर्सिटी ऑफ रिवर सांइसेज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करना।