राष्ट्रीय सलाहकार परिषद

सोनिया गांधी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने 2013 में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सम्बन्ध में सिफारिशें की। इसका प्राथमिक उद्देश्य पीवीटीजी की स्थितियों का आंकलन करना और उनकी आजीविका की सुरक्षा के उपायों की सिफारिश करना था।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) जनजातीय समुदायों के बीच उप-समूह है, जिन्हें अक्सर कुछ विशिष्ट संकेतों के आधार पर पहचाना जाता है; जैसे शिकार पर निर्भरता, भोजन संग्रह करना, कृषि-पूर्व स्तर की प्रौद्योगिकी, आबादी का शून्य या नकारात्मक विकास आदि। इनमें अन्य आदिवासी लक्षण जैसे आदिम लक्षण (primitive traits), विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव आदि भी शामिल है।

  • प्रमुख उदाहरणों में अंडमान और निकोबार द्वीप के शाम्पेन्स, जारवा; ओडिशा के बोंडा; छत्तीसगढ़ के अबुझमारिया; झारखंड के बिरहोर आदि शामिल हैं।
  • इसके अध्ययन के अनुसार 14 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में 75 पीवीटीजी रहते हैं। उनके कल्याण के लिए कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें निम्नलिखित हैं;
    1. सभी पीवीटीजी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा (STs) देना।
    2. वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी अधिकार प्रदान करना।
    3. उनके कल्याण के उद्देश्य से विकासात्मक कार्यक्रमों का सामाजिक अंकेक्षण करना।
    4. उनकी संख्या का पता लगाने के लिए विशेष जनगणना करना, 2001 की जनगणना के अनुसार, पीवीटीजीकी आबादी 2.77 मिलियन थी।
    5. उनके सशक्तिकरण और भेदभाव को खत्म करने के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाना।
    6. आजीविका रणनीतियों को विकसित करने के लिए पर्यावास दृष्टिकोण आदि।

अनुसूचित जनजातियों की जनगणना (2011)

सामाजिक आर्थिक जनगणना (SECC), 2011 के अनुसार, देश में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित निम्न निष्कर्ष सामने आयेः

  1. कुल जनसंख्याः 10,45,45,716 (कुल जनसंख्या का 8.63%)।
  2. पुरुष जनसंख्या (STs): 5,25,47,215।
  3. महिला जनसंख्या (STs): 5,19,98,501।
  4. लिंग अनुपातः 990/1000 पुरुष (राष्ट्रीयः 940/1000 पुरुष)।
  5. साक्षरता दरः 58.95% (राष्ट्रीयः 73%)।