राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (संशोधान) अधिानियम, 2017

राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2017 के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक एक्ट, 1981 में संशोधन किया गया है।

  • नाबार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और औद्योगिक विकास के लिए ऋण जैसी सुविधाएं प्रदान करने और विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है।

मुख्य विशेषताएं

नाबार्ड की पूंजी में वृद्धिः अधिनियम केंद्र सरकार को नाबार्ड की पूंजी उपलब्धता को 5,000 करोड़ से बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपये करने की अनुमति देता है। आरबीआई के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा पूंजी को 30,000 करोड़ रुपये से अधिक किया जा सकता है।

केंद्र सरकार को RBI के शेयर का हस्तांतरणः 1981 अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार और RBI को एक साथ नाबार्ड की कम से कम 51% शेयर पूंजी होनी चाहिए। संशोधन अधिनियम के तहत नाबार्ड की शेयर पूंजी में कम से कम 51% हिस्सा केंद्र सरकार की होनी चाहिए। विधेयक RBI द्वारा केंद्र सरकार को शेयर पूंजी स्थानांतरित करने का प्रावधान करता है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME): अधिनियम में ‘लघु स्तर के उद्योग’ और ‘छोटे और विकेंद्रित क्षेत्र में उद्योग’ जैसे शब्दों को ‘सूक्ष्म उद्यम’, ‘लघु उद्यम’ और ‘मध्यम उद्यम’ जैसे शब्दों से परिवर्तन किया गया है। 1981 के एक्ट के तहत नाबार्ड 20 लाख रुपए के निवेश वाले उद्योगों को मशीनरी और संयंत्रों के लिए ऋण और दूसरी सुविधाएं देता है। संशोधन अधिनियम में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 10 करोड़ रुपए तक और सेवा क्षेत्र में पांच करोड़ रुपए तक की निवेश वाले उद्यमों को शामिल किया गया है।

  • नए संशोधन के तहत, MSME उद्यमों के विशेषज्ञों को निदेशक मंडल और नाबार्ड की सलाहकार परिषद में शामिल किया जाना है। इसके अलावा, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को ऋण प्रदान करने वाले बैंक नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए योग्य हैं।

कंपनी अधिनियम, 2013 के साथ संगतिः नाबार्ड एक्ट, 1981 में कंपनी एक्ट, 1956 के प्रावधानों को वर्तमान अधिनियम, कंपनी एक्ट, 2013 के प्रावधानों से बदलता है। ये प्रावधान निम्नलिखित से संबंधित हैं:

  1. सरकारी कंपनी की परिभाषा
  2. ऑडिटर्स की स्पष्टीकरण