राष्ट्रीय क्षमता निर्माण ढांचा (2014)

कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण आवश्यक है। राष्ट्रीय क्षमता निर्माण ढांचा पहली बार 2006 में पंचायत अधिकारियों के उचित क्षमता निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए प्रकाशित किया गया था।

  • यह रिपोर्ट राज्यों के आउटरीच का विस्तार करने और उनकी क्षमता निर्माण में सहायता करने के लिए प्रकाशित की गई थी। यह प्रशिक्षण, प्रशिक्षण के विभिन्न तरीकों, प्रशिक्षण के विषयों, गुणवत्ता बढ़ाने की रणनीतियों, प्रशिक्षण संस्थानों में सुधार आदि से सम्बंधित कई सिफारिशें करता है।

यह प्रशिक्षण से सम्बंधित निम्न मुद्दों को सूचीबद्ध करता है-

  1. बड़ी संख्या (30 लाख से अधिक) में पंचायत निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाना है।
  2. निर्वाचित प्रतिनिधियों के अलावा, पंचायत सचिवालय, ग्राम सभा, मंत्रालयों के विभागीय अधिकारियों जैसे अन्य कर्मचारी की ग्रामीण विकास में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  3. बड़ी संख्या में प्रशिक्षण प्रदान में गुणवत्ता को बनाए रखना एक चुनौती है, इसके लिए व्यापक स्तर पर संस्थान निर्माण, नेटवर्किंग, निगरानी तंत्र आदि की आवश्यकता है।

इसके लिए निम्नलिखित सिफारिशें की गई हैं:

  • प्रत्यक्ष प्रशिक्षण के अतिरित्तफ़ सैटेलाइट कम्युनिकेशन के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। इसके अलावा, राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रशिक्षण के लिए अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा किया जाए।
  • मास-मीडिया यानी रेडियो, टेलीविजन, प्रिंट मीडिया, सामुदायिक रेडियो आदि को कम लागत पर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए।
  • राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (एसआईआरडी) के प्रशिक्षण मॉड्यूल में निम्नलिखित शामिल होने चाहिएः
    • सीमांत वर्ग के लिए विशेष पाठड्ढक्रम।
    • पंचायत अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण।
    • नेतृत्व प्रशिक्षण।
    • विषय केंद्रित पाठड्ढक्रम।
    • आईटी और कंप्यूटर साक्षरता।
    • क्षेत्र विशेष से सम्बंधित अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण।
  • राज्यों को पंचायती राज संस्था के व्यवस्थित संचालन के लिए उचित मानव संसाधन नीति तैयार करनी चाहिए।
  • राष्ट्रीय स्वराज ग्राम अभियान (तत्कालीन राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान) के तहत रिपोर्ट पूरक पहल करती है।
  • अधिकांश राज्यों ने सिफारिश स्वीकार कर ली है और सुझाव के अनुसार एसआईआरडी पर काम कर रहे हैं।