राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना

केंद्रसरकारद्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) वर्ष 2016 शरू की गई। देश में पहली बार इस तरह की राष्ट्रीय योजना तैयार की गई थी।

एनडीएमपी की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • एनडीएमपी आपदा जोखिम घटाने के लिए सेंडैई फ्रेमवर्क में तय किए गए लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के साथ मौटे तौर पर तालमेल करेगा।
  • योजना का विजन भारत को आपदा मुक्त बनाना है, आपदा जोखिमों में पर्याप्त रूप से कमी लाना है। जान-माल, आजीविका और संपदाओं (आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय) के नुकसान को कम करना है। इसके लिए प्रशासन के सभी स्तरों और साथ ही समुदायों की आपदाओं से निपटने की क्षमता को बढ़ाया जाएगा।
  • प्रत्येक खतरे के लिए सेंडैई फ्रेमवर्क में घोषित चार प्राथमिकताओं को आपदा जोखिम में कमी करने के फ्रेमवर्क में शामिल किया गया है। इसके लिए पांच कार्यक्षेत्र निम्न हैं:
    • जोखिम को समझना,
    • एजेंसियों के बीच सहयोग,
    • डीआरआर में सहयोग - संरचनात्मक उपाय,
    • डीआरआर में सहयोग - गैर-संरचनात्मक उपाय,
    • क्षमता विकास।
  • योजना के कार्यकारी हिस्से की पहचान 18 बड़े कार्यों के रूप में की गई है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • पूर्व चेतावनी, मानचित्र, उपग्रह इनपुट, सूचना प्रसार;
    • पशुओं और लोगों को हटाना;
    • पशुओं और लोगों को ढूंढ़ना और बचाना;
    • स्वास्थ्य सेवाएं;
    • पेयजल/निर्जलीकरण पंप/स्वच्छता सुविधाएं/सार्वजनिक स्वास्थ्य;
    • खाद्य और आवश्यक आपूर्ति;
    • संचार;
    • आवास और झोपड़ियों;
    • बिजली;
    • ईंधन;
    • परिवहन;
    • राहत रसद और आपूर्तिशृंखला प्रबंधन;
    • पशु के शवों का निपटान;
    • प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारा;
    • पुनर्वास एवं पशुधन और अन्य जानवरों के लिए पशु चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करना;
    • डेटा संग्रह और प्रबंधन;
    • राहत रोजगार;
    • मीडिया सम्पर्क।

योजना में आपदा जोखिम की बेहतर शासन प्रणाली के लिए एक अध्याय भी शामिल किया गया है। केंद्र और राज्यों की संबंधित भूमिकाओं वाली विशेष एजेंसियों की सामान्यीकृत जिम्मेदारियां इस खंड में दी गई हैं। छः क्षेत्रों में केन्द्र और राज्य सरकारें आपदा जोखिम शासन प्रणाली को मजबूत करने के लिए कार्रवाईयां करेंगीः

  • मुख्यधारा और एकीकृत डीआरआर और संस्थागत सुदृढ़ीकरण;
  • विकास क्षमता;
  • भागीदारीपूर्ण नजरिये को बढ़ावा देना;
  • चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ काम करना;
  • शिकायत निवारण प्रणाली;
  • आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए गुणवत्ता वाले मानकों, प्रमाणीकरण, आदि को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) आपदा प्रबंधन चक्र के सभी चरणों के लिए सरकारी एजेंसियों को रूपरेखा और दिशा प्रदान करता है।