राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 2018 में राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति जारी की है, जिसका उद्देश्य नई परियोजनाओं के साथ-साथ मौजूदा बिजली उत्पादन संयंत्रों के संकरण को बढ़ावा देकर नवीकरणीय बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह नीति पारेषण बुनियादी ढांचे और भूमि के वैकल्पिक और कुशल उपयोग के माध्यम से ग्रिड से जुड़े बड़े पवन-सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) संकर प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक ढांचे का प्रावधान करती है, जिससे नवीकरणीय बिजली उत्पादन में परिवर्तनशीलता कम हो जाती है और बेहतर ग्रिड स्थिरता प्राप्त होती है।

  • प्रौद्योगिकीः नीति दोनों ऊर्जा स्रोतों अर्थात् पवन और सौर का एकीकरण करती है।
  • हाइब्रिड परियोजनाएं: नीति नई हाइब्रिड परियोजनाओं के साथ-साथ मौजूदा पवन और सौर परियोजनाओं के संकरण को बढ़ावा देती है।
  • बिजली की खरीदः यह टैरिफ आधारित पारदर्शी बोली प्रक्रिया के आधार पर होगा, जिसके लिए सरकारी संस्थाएं बोली आमंत्रित कर सकती हैं।
  • बैटरी भंडारण का उपयोगः नीति उत्पादन को अनुकूलित करने और परिवर्तनशीलता को कम करने के लिए हाइब्रिड परियोजना में बैटरी भंडारण के उपयोग की अनुमति देती है।
  • मानक और नियमः यह विनियामक प्राधिकारियों को पवन-सौर संकर प्रणालियों के लिए आवश्यक मानक और नियम बनाने का अधिदेश प्रदान करती है।
  • चुनौतियां: संसाधनों की उपलब्धता की आंतरायिक प्रकृति, कुशल भंडारण, उपकरणों की कमी आदि चुनौतियां हैं, जो अधिकांश सौर या पवन ऊर्जा संयंत्रों की उत्पादकता को बाधित करती हैं।
  • सुधार सुझावः नीति के एक भाग के रूप में एमएनआरई ने सुझाव दिया कि भारत के पास प्रमुख क्षेत्र हैं, जहां पवन और सौर दोनों संसाधनों की क्षमता का दोहन उच्च से मध्यम स्तर पर किया जा सकता है। बिजली उत्पादन के संदर्भ में दोनों संसाधन एक-दूसरे के पूरक हैं और संकरण से ग्रिड सुरक्षा और स्थिरता में सुधार होगा।