पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन

राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो 2006-07 में प्रारंभ किया गया था। मिशन का मुख्य बल बांस के प्रचार और उत्पादन पर दिया गया क्योंकि प्रसंस्करण, उत्पाद विकास एवं मूल्यवर्धन पर सीमित प्रयास किए गए थे। उत्पादकों (किसानों) तथा उद्योग के बीच सम्पर्क कमजोर थी।

  • पुनर्निर्मित राष्ट्रीय बांस मिशन गुणवत्ता वाले बांस के रोपण, उत्पाद विकास और मूल्य संवर्द्धन आदि पर जोर देता है। यह बांस क्षेत्र के विकास के लिए कौशल विकास सहित बाजार तक पहुँच, यानी पूर्ण मूल्यश्रृंखला को सम्मिलित करता है। मिशन कृषि उत्पादकता और आय के वृद्धि में योगदान देगा, जिससे भूमिहीन एवं महिलाओं सहित छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका के अवसरों में वृद्धि होगी। मिशन कुशल या अकुशल दोनों क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन करने में मदद करेगा।

उद्देश्य

कृषि आय के पूरक के लिए गैर-वन सरकारी और निजी भूमि में बांस के रोपण के तहत क्षेत्र को बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन के सुधार की दिशा में मजबूती से योगदान करना।

  • पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट में सुधार करना, जिसमें नवाचारी प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, प्राथमिक शोधन, बाजार अवसंरचना निर्माण आदि शामिल है।
  • सूक्ष्म, छोटे और मध्यम स्तर पर उत्पाद विकास को बढ़ावा देकर बड़े उद्योग के लिए कच्चे माल की आपूर्ति करना।
  • भारत में अविकसित बांस उद्योग का जीर्णोद्धार करना।
  • बांस क्षेत्र के विकास के लिए कौशल विकास, क्षमता निर्माण, जागरुकता सृजन को बढ़ावा देना।

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य

मिशन सीमित राज्यों में बांस के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा; जहां बांस प्रजातियों की आनुवंशिक रूप से बेहतर रोपण सामग्री के साथ वाणिज्यिक और औद्योगिक मांग हैं। भारत के कुछ राज्यों में बांस का सामाजिक, वाणिज्यिक और आर्थिक महत्व भी है।

  • बांस क्षेत्र के समस्याओं का शुरू से अंत तक समाधान करना, अर्थात् बांस उत्पादन से सम्बंधित पूर्ण मूल्यश्रृंखला का निर्माण करना।
  • मिशन को मंत्रालयों/एजेंसियों के एकीकरण के एक मंच के रूप में विकसित किया गया है, जिसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी उनको प्राप्त अधिदेश (mandate) के अनुसार है।
  • कौशल विकास और प्रशिक्षण के माध्यम से अधिकारियों, उद्यमियों और किसानों की क्षमता निर्माण पर जोर दिया जाएगा।
  • बांस का उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अनुसंधान तथा विकास (आर एंड डी) पर ध्यान केंद्रित करना।