ट्रांसजेंडर पर्सन (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019

5 अगस्त, 2019 को लोकसभा ने ट्रांसजेंडर पर्सन (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के संरक्षण और उनके कल्याण का प्रावधान करता है। यह विधेयक देश में ट्रांसजेंडर समुदाय को अलग पहचान प्रदान करके सशक्त बनाएगा। विधेयक का उद्देश्य इस समुदाय को पहचान दिलाना, कल्याणकारी कदम और एक नेशनल काउंसिल के जरिए इस समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना, परिभाषित करना और ट्रांसजेंडर समुदाय के विरुद्ध भेदभाव को प्रतिबंधित करने के साथ-साथ इस समाज के लोगों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वह लिंग के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव का सामना न करें।

  • इस संशोधन में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पूर्व परिभाषित परिभाषा में परिवर्तन किया गया है, जिसमें कहा गया था कि ऐसा व्यक्ति जो ‘न तो पूर्ण महिला है और न ही पूर्ण पुरुष।
  • विधेयक 2019 के अनुसार, एक ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति होता है, जिसका लिंग जन्म के समय प्राप्त लिंग से बाद में मेल नहीं खाता है और इसमें ट्रांस-पुरुष या ट्रांस-महिलाएं, इंटरसेक्स संबंधों वाले व्यक्ति, लिंग-क्वीर वाले व्यक्ति शामिल हैं।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से इनकी पहचान किन्नर, हिजड़े, अरावनी और जोगता के रूप में की गयी है।

विविध सेवा प्राधिकरण बनाम भारत सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विविध सेवा प्राधिकरण (NALASA) बनाम भारत सरकार के मामले में 15 अप्रैल, 2014 को उनके अधिकारों के सुरक्षा के प्रयोजन से उन्हें ‘थर्ड जेंडर’ (Third gender) के रूप में मानने तथा उनके अधिकारों के लिए सरकार को एक कानून बनाने का निर्देश दिया था।

  • इसी वजह से सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण), बिल का पहला ड्रॉफ्ट 2014 में बनाया, जिसमें ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा कुछ कमियां बताई गयीं।
  • इनको दूर करने के लिए इस समुदाय के साथ कई दौर की मुलाकात के बाद 27 संशोधन के साथ ट्रांसजेंडर पर्सन (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को संसद में पेश किया गया था।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने 19 जुलाई, 2019 को इस विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया और 5 अगस्त, 2019 को इस विधेयक को कैबिनेट ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।