ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019

इसे दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था। अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैंः

ट्रांसजेंडर व्यक्ति की परिभाषाः यह एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करता है, जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं खाता है। इसमें ट्रांस-पुरुष और ट्रांस-महिलाएं, मध्यलिंगी, समलैंगिक और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति, जैसे किन्नर आदि शामिल हैं।

भेदभाव के खिलाफ निषेधः यह किसी भी प्रकार के भेदभाव को प्रतिबंधित करता है, जिसमें शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा आदि से इनकार या अनुचित व्यवहार शामिल है।

निवास का अधिकारः प्रत्येक ट्रांसजेंडर को अपने घर में निवास करने और पारिवारिक इकाई में शामिल होने का अधिकार होगा।

रोजगारः मानदंडों को पूरा करने पर ट्रांसजेंडर को रोजगार प्रदान करने में किसी निजी या सरकारी संस्था द्वारा भेदभाव नहीं किया जायेगा।

ट्रांसजेंडर के लिए प्रमाण-पत्र प्राधिकरणः एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति पहचान-पत्र के लिए जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकता है, जिसमें लिंग को ‘ट्रांसजेंडर’के रूप में दर्शाया जायेगा।

अपराध और दंडः जबरन श्रम, घर से निकालने, शारीरिक / यौन शोषण जैसे अपराधों के परिणामस्वरूप 6 महीने से 2 साल तक की कैद एवं जुर्माना हो सकता है।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय परिषद(NCT): NCT में निम्नलिखित शामिल होंगेः

  • केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री (अध्यक्ष)।
  • सामाजिक न्याय राज्य मंत्री (उपाध्यक्ष)।
  • सामाजिक न्याय मंत्रालय के सचिव।
  • स्वास्थ्य, गृह और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक-एक प्रतिनिधि।
  • अन्य सदस्यों में नीति आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रतिनिधि शामिल हैं।
  • राज्य सरकारों का भी प्रतिनिधित्व होगा। परिषद में ट्रांसजेंडर समुदाय के पांच सदस्य और गैर-सरकारी संगठनों के पांच विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
  • इस अधिनियम से बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की आशा है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने में सहायक होगा।
  • यह समाज में समावेशिता लाएगा और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज का उत्पादक सदस्य बनाएगा।