विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)

वर्ष 1952 में केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक निधियों से केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, अन्य विश्वविद्यालयों तथा उच्च शिक्षा के संस्थानों को अनुदान सहायता के आवंटन से संबंधित सभी मामलों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को संदर्भित करने का फैसला किया, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने 28 दिसंबर, 1953 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की। इसका उद्देश्य भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा के मानकों के निर्धारण और रख-रखाव करना है। आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और दस अन्य सदस्य हैं, जो केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।

आयोग के कार्य

  • विश्वविद्यालय शिक्षा को बढ़ावा देना और समन्वय करना।
  • विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों का निर्धारण एवं रख-रखाव।
  • शिक्षा के न्यूनतम मानकों पर नियमों का निर्धारण।
  • कॉलेजिएट एवं विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में विकास की निगरानी औरविश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान देना।
  • केंद्र एवं राज्य सरकारों और उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करना।
  • विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार के लिए आवश्यक उपायों पर केंद्र एवं राज्य सरकारों को सलाह देना।
  • विश्वविद्यालयों की वित्तीय आवश्यकताओं की जांच करना।
  • ऐसे विश्वविद्यालयों के रख-रखाव एवं विकास, किसी अन्य सामान्य या विशिष्ट उद्देश्य के लिए आयोग द्वारा निधियों का आवंटन या एक केंद्रीय अधिनियम के तहत अनुदान देना।