‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ कार्यक्रम

1 नवंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानगढ़ पहाड़ी पर आयोजित ‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ कार्यक्रम में गोबिंद गुरु और बलिदानी भील समाज के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित किया।

महत्वपूर्ण तथ्य-

  • इस कार्यक्रम में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
  • 1913 में इसी पहाड़ी पर एकत्रित जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
  • आदिवासी समाज के राष्ट्र निर्माण एवं देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान और बलिदान को रेखांकित करते हुए भारत सरकार दस राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा और केरल में जनजाति संग्रहालय विकसित कर रही है।

GK फ़ैक्ट

  • ‘संप सभा’- गोबिंद गुरु ने भारतीय परंपरा और आदर्शों के सच्चे प्रतिपादक के रूप में 25 वर्ष की आयु में सन 1883 में जनजातीय लोगों के बीच एकता और सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए ‘संप सभा’ की स्थापना की थी।
  • वर्ष 1903 के बाद से मानगढ़ पहाड़ी क्षेत्र के भीलों और अन्य जनजातीय लोगों के लिए एक मेले के रूप में आयोजित वार्षिक समागम के लिए प्रसिद्ध स्थान बन गया था।
  • ‘भूरेटिया नहीं मानू रे’- सन 1913 में 17 नवंबर की पूर्णिमा के दिन मानगढ़ पहाड़ी पर डेढ़ लाख से अधिक भील गुरु के प्रति अपनी निष्ठा दर्शाते हुए इकट्टा हुए। ‘भूरेटिया नहीं मानू रे’ (मैं अंग्रेजों के दमनकारी शासन के प्रति कभी भी वफादार होना स्वीकार नहीं करूंगा) गीत जनजातीय लोगों की मुखर अभिव्यक्ति बन गया।