सामुदायिक भागीदारी से जल संरक्षण
किसी भी देश के नागरिकों के लिए स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने में भूजल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। ताजे पानी के उपयोग की बढ़ती मांग, वर्षा-आधारित सिंचाई पर निर्भरता, वर्षा के बदलते स्वरूप, जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण जैसे विविध कारणों से भूजल का बड़े पैमाने पर दोहन हुआ है।
- देश के पेयजल की 80 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत शहरी जरूरतें भूजल के दोहन से पूरी होती हैं। भूजल के आंकड़े बताते हैं कि कुल 244.92 अरब घनमीटर निष्कासित भूजल में से 88.85 प्रतिशत हिस्सा केवल सिंचाई के लिए प्रयोग किया गया।
जल संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी
- भारत ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में पहली बुलेट ट्रेन का साकार होता सपना
- 2 जीनोम इंडिया परियोजना: स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की मजबूत नींव
- 3 विकसित भारत के सपने को साकार करने की ओर अग्रसर वैज्ञानिक पहलें
- 4 भारत का क्वांटम सैटेलाइट मिशन: संचार और सुरक्षा में नई क्रांति
- 5 विज्ञान के अनुसंधान में अग्रणी भारतीय महिलाएं
- 6 स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे और पहुँच को मजबूत करना
- 7 भारत में महिला सशक्तीकरण के लिए बजटीय पहल
- 8 ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल
- 9 केंद्रीय बजट 2025-26 : विकास के आयाम
- 10 महिला सशक्तीकरण
पत्रिका सार
- 1 समग्र स्वास्थ्य एवं आरोग्य जीवन का विज्ञान: आयुष
- 2 वैश्विक कल्याण का साधन: योग
- 3 प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): महत्व एवं नवीनतम पहल
- 4 सुरक्षित, विश्वसनीय एवं जवाबदेह इंटरनेट
- 5 स्वच्छ जल एवं स्वच्छता का लक्ष्य
- 6 वर्षा जल संचयन की संभावनाएं
- 7 वनीकरण एवं जल संवर्धन
- 8 जलवायु परिवर्तन तथा बर्फ का पिघलना
- 9 पर्यावरण के हितैषी पक्षी: रैप्टर