प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक

आर्यभट्टः आर्यभट्ट का जीवनकाल 476 से 520 ई- के बीच था। ये महान गणितज्ञ और खगोलज्ञ थे। ‘‘पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है’’ का विचार आर्यभट्ट द्वारा ही दिया गया था। इसके अतिरिक्त इन्होंने पृथ्वी और चन्द्रमा के व्यासों की भी गणना की। बीजगणित (Algebra) के संस्थापक और शून्य के महत्त्व का उल्लेख करने के लिए आर्यभट्ट को विशेष रूप से जाना जाता है। इन्हीं के नाम पर भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत के पहले कृत्रिम उपग्रह का नामकरण किया। वह भारत ही नहीं विश्व के महान वैज्ञानिक थे।

चरकः चरक 80 से 180 ई- के मध्य प्रसिद्ध वैज्ञानिक व चिकित्सक रहे। ये कनिष्क के दरबार में चिकित्सक भी रहे। इन्होंने ही रोग-औषधि से संबंधित पुस्तक ‘चरक संहिता’ लिखी।

धनवंतरिः ये चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल के महान चिकित्सक थे। इनका समय 375 से 413 ई- के बीच रहा था।

वराहमिहिरः ये 6वीं शताब्दी के भारत के महान खगोलविद् और वास्तुशास्त्री थे। इसके अतिरिक्त इन्हें गणितज्ञ और दार्शनिक के रूप में भी जाना जाता है। ये विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक थे।

भास्कराचार्यः भास्कराचार्य का जन्म 1114 ई- में हुआ था। ये भारत के महान गणितज्ञ और खगोलज्ञ थे। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सिद्धान्त शिरोमणि’ के दो खंडों में गणित और दो खंडों में खगोलिकी का उल्लेख किया गया है।

नागार्जुनः ये भारत के महान बौद्ध दार्शनिक एवं रसायनविद् थे। इनके कार्य अभी भी चीन एवं तिब्बत में उपलब्ध हैं। इनका प्रसिद्ध सिद्धान्त ‘थ्योरी आन एक्सट्रैक्शन ऑफ कॉपर एंड मेटलिक ऑक्साइड’ अभी भी महत्वपूर्ण है।

सुश्रुतः ये चौथी शताब्दी के भारतीय चिकित्सक थे। इन्होंने चिकित्सा से संबंधित एक महत्वपूर्ण पुस्तक ‘सुश्रुत संहिता’ लिखी।

ब्रह्मदेवः भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मदेव अपनी पुस्तक ‘कर्ण प्रकाश’ के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। इस पुस्तक को आर्यभट्ट द्वारा लिखित ‘आर्यभटीय’ पुस्तक की समालोचना माना जाता है। यह पुस्तक विशेष रूप से खगोलिकी एवं त्रिकोणमिती पर आधारित है।

ब्रह्मगुप्तः भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ ब्रह्मगुप्त को खगोलिकी और गणित के क्षेत्र में किए गए उनके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जाना जाता है। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘ब्रह्मफुट सिद्धान्त’ (जो विशेष रूप से ब्रह्म सिद्धान्त पर आधारित) है।

व्यासः व्यास को बदनारायण और वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है। भारत के महाकाव्य ‘महाभारत’ की रचना व्यास ने ही की है।

चाणक्यः चाणक्य को कौटिल्य व विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। ये प्रथम मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त के शासन में सलाहकार और प्रधानमंत्री थे। प्राचीन भारत की राजनीति पर आधारित पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ का लेखक इन्हें ही माना जाता है। इन्हें ‘भारत का मैकियावेली’ भी कहा जाता है। चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी रहे थे।

बुधायनः ये भारतीय गणितज्ञ थे। इन्होंने ही ‘शुल्वसूत्र’ पुस्तक की रचना की थी। इसी पुस्तक में इन्होंने कई महत्वपूर्ण गणितीय परिणामों का प्रतिपादन किया था। बुधायन का शुल्वसूत्र 6 खण्डों में विभाजित था।

पिंगलाः ये प्राचीन भारतीय लेखक थे। इनकी पुस्तक ‘चण्डास सूत्र’ है। इन्होंने कई गणितीय संकल्पनाओं को वर्णित किया है। इन्हें पाणिनि का छोटा भाई भी माना जाता है। बाइनरी नम्बर सिस्टम के प्रथम खोजकर्ता पिंगला ही थे।