आधुनिक भारत के अन्य वैज्ञानिक

वेंकटरमण रामकृष्णनः भारतीय अमेरिकी रामकृष्णन को वर्ष 2009 के रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार थामस ई. स्टेन्ज (अमेरिकी) व अदा ई. योनथ (इजरायल) के साथ प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की संरचना और कार्य प्रणाली की खोज के लिए संयुक्त रूप से दिया गया। इस खोज से एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में सहायता प्राप्त होगी।

सिंथेटिक जीनोम प्रोजेक्ट में शामिल भारतीय मूल के वैज्ञानिकः डा- क्रेग वेंटर के नेतृत्व में 24 वैज्ञानिकों के समूह ने सिंथेटिक जीनोम के सहारे एक जीवित कोशिका बनाई। इस वैज्ञानिकों के समूह में तीन भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक भी शामिल थे- संजय वाशी, राधाकृष्ण कुमार और प्रशांत पी- परमार।

जी- सतीश रेड्डीः रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी-आर-डी-ओ-) के वैज्ञानिक जी- सतीश रेड्डी का चयन होमी जहांगीर भाभा मेमोरियल अवार्ड के लिए किया गया। उनका चयन भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ द्वारा वर्ष 2013-14 के लिए किया गया। इनके चयन की घोषणा हैदराबाद में 9 नवंबर 2013 को की गयी। वर्तमान में जी- सतीश रेड्डी डी-आर-डी-ओ- में वैज्ञानिक रिसर्च सेंटर इमैरेक्ट (आरसीआई) के निदेशक हैं। होमी जहांगीर भाभा मेमोरियल अवार्ड की स्थापना भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ द्वारा वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की जन्मशदी मनाने के लिए वर्ष 1989 में की गयी। यह अवार्ड प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है तथा इसमें एक प्रशस्तिपत्र दिया जाता है।

प्रो- सी-एन-आर-राव को भारत रत्नः प्रोफेसर सी-एन-आर-राव को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘‘भारत रत्न’’ से सम्मानित करने का केंद्र सरकार ने 16 नवंबर 2013 को फैसला किया तथा 4 फरवरी, 2014 को उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से पहले से ही सम्मानित राव अब तक भारत रत्न पा चुके 45 विशिष्ट लोगों की समूह में शामिल हो गए हैं। वर्ष 1954 में गठित भारत का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान विशिष्ट सेवा की मान्यता के तौर पर दिया जाता है। प्रो- चिंतामणि नागेसा रामचन्द्र राव सॉलिड स्टेट एंड मटीरीयल रसायनशास्त्र के क्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक हैं। सी-वी- रमण और पूर्व राष्ट्रपति ए-पी-जे- अब्दुल कलाम के बाद भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह देश के तीसरे वैज्ञानिक हैं।

उडिपी रामचंद्र रावः ये भारत के एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक तथा भारतीय उपग्रह कार्यक्रम के वास्तुकार थे। 1960 में अपने कैरियर की शुरुआत की तथा वे इसरो उपग्रह केंद्र के प्रथम निदेशक रहे स1975 में उनके ही निर्देशन में देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट डिजाइन किया गया। उनके निर्देशन में 20 से अधिक उपग्रह डिजाइन और लॉन्च किए गए। देश में अंतरिक्ष प्रोदियिकी का विकास करकेकरके उसका संचारमें इस्तेमाल करने और प्राकर्तिक संसाधनों का रिमोट सेंसिंग में इस्तेमाल करने में दिए योगदान के लिए उन्हें जाना जाता है। उनको भारत सरकार द्वारा 1976 में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पप्र भूषण से तथा वर्ष 2017 में पप्र विभूषण से सम्मानित किया गया था।

डॉ- वासुदेव कलकुंते आट्रेः भारतीय वैज्ञानिक और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व प्रमुख रहे हैं। उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। 2016 में उन्हें पप्र विभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया।

अदिति पंतः एक समुद्र विज्ञानी हैं। 1983 में वह भारत के अंटार्कटिका अभियान का एक हिस्सा थीं और सुदीप्ता सेनगुप्ता के साथ अंटार्कटिका जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

कल्पना चावलाः ये भारतीय मूल की अंतरिक्ष विज्ञानी और वह भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। साल 1988 में उन्होंने नासा ज्वॉइन किया जहां उनकी नियुक्ति नासा के रिसर्च सेंटर में हुई। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन नवंबर 1997 को शुरू हुआ जब उन्होंने 6 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। 16 जनवरी 2003 को कल्पना सहित 7 यात्रियों ने कोलंबिया STS-107 से उड़ान भरी और अंतरिक्ष में 16 दिन बिताने के बाद वापस लौटते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमे सबही सातों वैज्ञानिक मारे गए।

डॉ- ए पी जे अब्दुल कलामः मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ- ए- पी- जे- अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुर पाकीर जैनुलाब्दिन अब्दुल कलाम था। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभाई। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा।पृथ्वी, अग्नि, आकाश, त्रिशूल और नाग मिसाइलें को बनाने का श्रेय डा- कलाम को ही जाता है। सन 1998 मेंडा- कलाम ने भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई। डा- कलाम 2002 से लेकर 2007 तक भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति रहे। उन्हें 1981 में पप्र भूषणऔर वर्ष 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।