आधुनिक भारत के वैज्ञानिक

हरगोविंद खुरानाः इन्होंने कृत्रिम जीन और डेसीफेयर्ड जेनिटिक कोड की खोज की। इन्हें 1968 में चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

होमी जे- भाभाः इनका प्रमुख योगदान परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में रहा है। इन्हीं के प्रयासों से भारत में परमाणु रिएक्टरों की स्थापना की शुरुआत हुई। इन्होंने क्वांटम थ्योरी, कॉस्मिक किरणों, परमाणु की संरचना इत्यादि पर बहुत से पेपर प्रकाशित किए। होमी जहांगीर भाभा परमाणु ऊर्जा आयोग के पहले अध्यक्ष थे। वर्ष 1986 में आल्पस पर्वत के ऊपर एक हवाई दुर्घटना में इनकी मुत्यु हो गयी।

एस-एस- भटनागरः (1894-1953): ये भारत के महान वैज्ञानिक थे। एस-एस- भटनागर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के पहले महानिदेशक थे। इनके ही निर्देशन में पूरे भारत में कई अनुसंधान प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं।

जे-सी- बोसः ये भारत के प्रसिद्ध भौतिकविद एवं वनस्पतिशास्त्री थे। इन्होंने ही कोलकाता में बोस अनुसंधान संस्थान की स्थापना की थी। जे-सी- बोस ने ही क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया।

डॉ- एस- चंद्रशेखरः ये भारत में जन्मे अमेरिकी वैज्ञानिक थे, जिन्होंने 1983 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार जीता था। ये प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे। इन्होंने ही तारों के जन्म और मृत्यु से संबंधित ‘स्टालर इवोलूशन’ का सिद्धान्त विकसित किया था। इस सिद्धान्त को ही आज ‘चंद्रशेखर सीमा’ के रूप में जाना जाता है।

सर सी-वी- रमनः ये भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने वर्ष 1929 में अपने द्वारा विकसित ‘रमन प्रभाव’ हेतु भौतिकी का नोबेल पुरस्कार (1930) प्राप्त किया था। इन्होंने ही बंगलौर (अब बंगलुरु) में रमन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की थी। इन्हें 1954 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

एस-एन- बोसः ये उस समय चर्चा में आये जब इन्होंने परमाणु कणों से संबंधित अपने बोस-आइंस्टीन सिद्धान्त को विकसित किया। इनके सिद्धान्त के बाद ही छोटे-छोटे परमाणु कणों को बोसॉन नाम भी दिया गया।

डॉ- मेघनाद साहाः कोलकाता विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंटिफिक एंड टेक्नॉलाजी में भाैतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे डॉ- मेघनाद साहा ने परमाणु भौतिकी, कॉस्मिक किरणों, स्पेक्ट्रम एनालिसिस पर महत्वपूर्ण कार्य किया।

जे-वी- नार्लिकरः इन्हें होली-नार्लिकर सिद्धान्त के लिए जाना जाता है। जिन्होंने आइंस्टीन की ‘थ्योरी ऑफ रिलेटीविटी’ के कुछ अस्पष्ट पक्षों को समझाने की कोशिश की थी। वर्ष 1956 में इनका निधन हो गया।

राजा रमनना: ये भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक थे। इन्होंने 1974 में राजस्थान के पोखरण में भारत द्वारा किये गये प्रथम परमाणु बम परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

भगवंतमः इनका प्रमुख योगदान खगोल विज्ञान एवं कॉस्मिक किरणों में रहा है। ये भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी-वी- रमन के सहायक रहे हैं और रक्षा मंत्रलय में वैज्ञानिक सलाहकार के अलावा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के महानिदेशक भी रहे हैं।

श्रीनिवास रामानुजः इनका महत्वपूर्ण योगदान ‘नंबर थ्योरी’, ‘थ्योरी ऑफ पार्टिजन्स’ और ‘थ्योरी ऑफ कंटीनुअस फैक्शन’ में रहा है।

सर पी-सी- रेः ‘हिन्दू केमिस्ट्री’ के लेखक पी-सी- रे ने इंडियन केमिकल सोसाइटी और बंगाल केमिकल एवं फर्मास्यूटिकल लि- की स्थापना की थी। इन्होंने नाइट्रस ऑक्साइड पर उल्लेखनीय कार्य किया था।

सतीश धवनः ये भारत के महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष थे। भारत द्वारा 1975 में प्रक्षेपित पहले कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र का नामकरण इन्हीं के नाम पर किया गया है।

डॉ- के- राधाकृष्णनः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष एवं भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव जैसे उच्च पदों पर कार्यरत के- राधाकृष्णन के कार्यकाल में भारतने मंगल ग्रह पर उपग्रह भेजने में सफलता प्राप्त की।

के- कस्तुरीरंगनः वर्ष 1994 से 2003 के मध्य लगभग 9 वर्ष तक इसरों के अध्यक्ष रहे कस्तुरीरंगन अनेक राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित हैं। इन्होंने उपग्रह भास्कर-1, भास्कर-2 और आईआरएस-1ए के विकास में बतौर परियोजना निदेशक के पद पर रह कर अत्यंत सराहनीय कार्य किया।