नई सौर्य प्रणाली की खोज

हमारी सौर प्रणाली के बाहर जीवन की संभावनाओं को खोजने के प्रयास में उस समय एक जबर्दस्त सफलता मिली जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने लगभग पृथ्वी के आकार के सात अतिरिक्त-सौर ग्रहों (एक्सोप्लैनेट्स) की ऐतिहासिक खोज की घोषणा की। ऐसा नहीं है कि पूर्व में एक्सोप्लैनेट्स की खोज नहीं की गई है परंतु पहले की खोज के विपरीत नवीन खोज की विशिष्टता यह है कि इन सभी सातों ग्रहों पर द्रवित जल की उपस्थिति की पूरी संभावना है जो कि जीवन के लिए आवश्यक है।

इन खोजे गये सात ग्रहों में से तीन ग्रहों पर जीवन की संभावना के अधिक प्रमाण हैं परंतु शेष चार पर संभावना कम है क्योंकि वहां गर्मी काफी अधिक है। ‘गोल्डीलॉक्स जोन’ में पहली बार पृथ्वी के जैसे इतनी बड़ी संख्या में ग्रहों को खोज गया है। गोल्डीलॉक्स जोन (Goldilocks’ zone) निवास योग्य क्षेत्र होता है जो कि तारा (जिसका चक्कर ग्रह लगाता है) से न तो अधिक नजदीक और न ही अधिक दूर होता है। किसी ग्रह के धरातल पर द्रवित जल की उपस्थिति की संभावना इस जोन में होती है। हमारी सौर प्रणाली में केवल पृथ्वी पर ही द्रवित जल मौजूद है।

जमीन पर स्थित कई दूरबीनों के अलावा नासा द्वारा स्पिटजर स्पेश टेलीस्कोप के द्वारा 20 दिनों तक निरंतर निगरानी के उपरांत इन ग्रहों की खोज की घोषणा की गई। चूंकि जिस बौना तारा की परिक्रमा ये ग्रह कर रहे हैं वह सूर्य की अपेक्षा अधिक शीतल हैं, ऐसे में तारा के सामने से ग्रहों के गुजरते समय उस पर पड़ने वाले प्रकाश को पृथ्वी से रिकॉर्ड किया जा सकता है जबकि सूर्य से जैसे अधिक उष्ण तारा की परिक्रमा करने वाले तारों के प्रकाश को पृथ्वी से रिकॉर्ड करना कठिन होता है।

इन ग्रहों की खोज में चिली स्थित ‘ट्रांजिटिंग प्लैनेट्स एंड प्लैनेटसिमल्स स्मॉल टेलीस्कोप ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया, इसलिए इस एक्सोप्लैनेट प्रणाली को ‘ट्रैप्पिस्ट-1’ (TRAPPIST-1) नाम दिया गया है। हमारी सौर प्रणाली के विपरीत इन ग्रहों का निर्माण तारा से काफी दूर हुआ परंतु बाद में क्रमिक रूप में ये तारा के नजदीक आते गये। ये बहुत हद तक गैलिलियन चंद्रमा (Galilean moons) की तरह की निर्माण प्रणाली है जो निर्माण के पश्चात बृहस्पति की ओर प्रवास कर गये।

हमारी सौर प्रणाली से ट्रैप्पिस्ट-1 प्रणाली एक और मामले में अलग है। जहां हमारी सौर प्रणाली के आठ ग्रह काफी दूर-दूर हैं वहीं ट्रैप्पिस्ट-1 के सातों ग्रह एक-दूसरे से काफी नजदीक हैं। ट्रैप्पिस्ट-1 प्रणाली का सबसे नजदीकी ग्रह तार का चक्कर लगाने में महज 1.5 दिन लगता है अर्थात वहां का एक वर्ष हमारे यहां के 1­.5 दिन के बराबर है। वहीं इस ग्रह प्रणाली के सुदूरतम ग्रह को भी परिक्रमा करने में महज 20 दिन लगते हैं। इन ग्रहों की घूर्णन अवधि भी गैलिलियन चंद्रमा की भांति हैं।

इन ग्रहों के द्रव्यमान का अनुमान आरंभिक तौर पर यही बताता है कि छह ग्रहों की संरचना चट्टानी है। वहीं एक पर वायुमंडल या बर्फीली परत होने के कारण कम घनत्व व अस्थिर संरचना होगी। प्रकाश की तरंगदैर्ध्य विशिष्टताओं का मापन कर वायुमंडल की संरचना का पता लगाया जा सकता है।