वीएक्स नर्व एजेंट

XV नर्व एजेंट (VX nerve agent) ऑर्गेनोफास्फेट श्रेणी का एक घातक रासायनिक हथियार है जिसके संपर्क में आने भर से कोई भी वयस्क व्यक्ति अपनी जान गंवा सकता है। सद्यः तंत्रिका वाहक इस रसायन के चर्चा में आने का प्रमुख कारण है उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन के सौतेले भाई किम जोंग-नैम की कुआलालंपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में हुई हत्या में इसी नर्व एजेंट का प्रयोग किया जाना। देखा जाए तो यह रासायनिक युद्ध के लिए एक अचूक हथियार है जो बड़ी तेजी से मानव तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है। इससे व्यक्ति विशेष को सांस और हृदय गति अवरुद्धता का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं XV नर्व एजेंट और इसके प्रभावों को?

XV नर्व एजेंट, एक बेहद जहरीला रासायनिक हथियार है। यह साफ और अंबर रंग का तैलीय तरल पदार्थ है जो स्वादहीन और गंधहीन होता है। इस रसायन की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इसे सामूहिक विनाश करने वाले एक खतरनाक रासायनिक हथियार के रूप में सूचीबद्ध किया है।

यह श्वास, त्वचा संपर्क या आंखों के जरिए तीव्र गति से शरीर में पहुंच जाता है और भीतर जाकर तंत्रिकाओं को संदेश भेजे जाने से रोक देता है। इसकी एक बूंद (10 मिलीग्राम) भी त्चचा पर यदि गिर जाए तो इससे कोई भी काल के गाल में समा सकता है। इसकी अल्प मात्र भी आंखों में तेज दर्द, धुंधलापन, सुस्ती और उल्टी की समस्या का कारण बन सकती है। इसे स्प्रे कर या भाप रूप में फैलाया जा सकता है।

XV नर्व एजेंट: टाइमलाइन

  • पहली बार विकास-1950 के दशक में यूके में (इसका कूट नाम अमेरिकी सेना द्वारा दिया गया)
  • उत्पादित करना आसान और सरीन सहित सभी नर्व एजेंट रसायनों में सबसे घातक व हानिकारक।
  • अमेरिका, रूस, सीरिया व इराक द्वारा ऐसे रसायनों का हथियार रूप में प्रयोग।
  • XV नर्व एजेंट का पहली बार प्रयोग 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध में।
  • 1993 में टोक्यो भूमिगत रेल (Tokyo Subway) में नर्व गैस का इस्तेमाल।
  • वीएक्स का उत्पादन एवं इसका प्रयोग 1925 के जेनेवा प्रोटोकॉल व 1993 के रासायनिक हथियार अभिसमय सहित अनेक अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत निषिद्ध।
  • 1925 जिनेवा प्रोटोकॉल, प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) में जहरीली गैस के इस्तेमाल के बाद प्रभावी हुआ था जिसे 1993 के अभिसमय में बढ़ा दिया गया था। इसके तहत इस विषाक्त रसायन का विकास, उत्पादन, प्रतिधारण और रासायनिक हथियारों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • उत्तर कोरिया जैसे आज भी कुछेक ऐसे देश हैं जिन्होंने 1997 से प्रभावी केमिकल वेपंस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
  • यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस स्टडी के अनुसार 110 टन XV नर्व एजेंट को 1969 और 1970 के बीच अटलांटिक महासागर में डंप कर दिया गया था।
  • फॉरमूला- C11H26 No 2 PS
  • ब्वॉयलिंग प्वाइंट-298°C
  • वी- शृंखला की नर्व एजेंट के खोजकर्ता-भारतीय रसायनविद् डॉ- रणजीत घोष व जे-एफ- न्यूमैन (यूके) द्वारा 1952 में ब्रिटिश फर्म ICI के लिए।

भाप के संपर्क में आकर वीएक्स लगभग आधे घंटे तक कपड़ों में रह सकता है। इससे और लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। और तो और इसे खाने, पेयजल या कृषि उत्पादों में मिलाकर जहरीला बनाया जा सकता है।

इसी बात को मद्देनजर रखते हुए 1993 में हुई ‘रसायन हथियार अभिसमय' (Chemical Weapons Convention) के जरिए वीएक्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके, ऐसे खतरनाक रसायनों का हथियार रूप में प्रयोग किया जाना अभी भी कहीं न कहीं दिखाई पड़ ही जाता है।

समूचा विश्व आतंकवाद, पर्यावरण, रसायन हथियार के प्रयोग आदि जैसी समस्याओं से जूझ रहा है ऐसे में यदि इस तरह के रासायनिक हथियारों की होड़ शुरू हो जाए और इसकी सुलभता संभव हो जाए तो न सिर्फ वर्तमान विश्व की हालत और भी अशांतिमय हो जाएगी अपितु मानव अस्तित्व पर भी प्रश्न चिह्न लग जाएगा। इसके कारण मानवीय पहलुओं का जहां पतन होगा वहीं विश्व विनाश के कगार पर खड़ा हो जाएगा।