पॉलीथीन प्रदूषण

प्राथमिक रूप से प्लास्टिक थैलों, प्लास्टिक की बोतल आदि जैसे वाहकों में प्रयुक्त होने वाली पॉलीथीन सर्वप्रथम संयोगवश संश्लेषित हुई। वर्ष 1898 में जर्मन रसायनशास्त्री हास वान पेचमान द्वारा डाइ एजोमीथेन को गर्म करते समय पॉलीएथीलीन या पॉलीथीन सर्वप्रथम संयोगवश संश्लेषित हुई। सर्वप्रथम इसे पॉलीमेथीलीन नाम दिया। पॉलीएथीलीन या पॉलीथीन का वैज्ञानिक (आइयूपीएसी) नाम पॉली ईथीन या पॉलीमेथीलीन है। इसका वार्षिक वैश्विक उत्पादन लगभग 8 करोड़ टन है। विभिन्न प्रकार के ज्ञात पॉलीएथीलीन का रासायनिक सूत्र (C2H4)nH2 है। इस प्रकार सामान्यतया पॉलीएथीलीन समान कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण है जो द के मान के साथ परिवर्तित होता है। उद्योगों में व्यावहारिक रूप से प्रयुक्त होने वाली संश्लेषित पॉलीएथीलीन का आविष्कार वर्ष 1933 में एरिक फॉसेट व रेनाल्ड गिडसन ने संयोगवश किया था।

पॉलीथीन के भौतिक गुण - सामान्य रूप से व्यापारिक कार्यों में प्रयुक्त होने वाले मध्यम व उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन 120 डिग्री सेंटीग्रेड से 180 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के मध्य पिघलता है। अतः प्रयुक्त होने के उपरांत जहाँ फेंका जाता है- वहीं अत्यंत लम्बे समय तक बने रहकर सामान्य क्रियाकलाप बाधित करता है।

रासायनिक गुण - अधिकांश एलडीपई (लो डेंसिटी पॉलीथीन, मिडिल डेंसिटी पॉलीथीन एवं हाई डेंसिटी पॉलीथीन) अत्यंत उत्कृष्ट कोटि के रासायनिक प्रतिरोधक होते हैं, अर्थात तीव्र अम्लीय या तीव्र क्षारीय पदार्थ से अभिक्रिया नहीं करते हैं। पॉलीथीन, नीली ज्वाला देते हुए धीरे-धीरे जलता है। जलने पर पॉलीथीन से पैराफीन की गंध आती है। लगातार जलाने पर ज्वाला समाप्त होने पर बूँद के रूप में हो जाता है। कमरे के तापमान पर क्रिस्टल नहीं घुलते हैं। सामान्यतया टालूईन या जाईलीन जैसे ऐरोमेटिक हाइड्रोकार्बन एवं ट्राई क्लोरोइथेन या ट्राई क्लोरोबेंजीन जैसे क्लोरीनेट विलायक में पॉलीथीन उच्च तापमान पर घुलता है।