रेडियो एक्टिव प्रदूषण

नाभिकीय परमाणु परीक्षणों के फलस्वरूप कई रेडियो एक्टिव तत्व जैसे- यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम तथा रेडियो एक्टिव किरणें जैसे- अल्फा, बीटा व गामा किरणें वातावरण में प्रवेश करके रेडियो धर्मी प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।

रेडियो एक्टिव प्रदूषण के कारण

नाभिकीय भट्टियाँ तथा युद्ध में प्रयोग हो रहे नाभिकीय बम तथा अन्य सामग्री तथा नाभिकीय परीक्षण आदि रेडियोधर्मी प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। इन सब के द्वारा हानिकारक रेडियोएक्टिव तत्व, किरणें आदि निकलकर वातावरण में प्रवेश कर वायु, जल तथा मृदा को हानि पहुँचाती हैं।

रेडियो एक्टिव प्रदूषण का प्रभाव

  1. रेडियोएक्टिव पदार्थ वातावरण में इतनी अधिक मात्र में ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं कि इससे पौधों की कोशिकाएं तथा जानवरों एवं मनुष्यों की कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं।
  2. रेडियो धर्मी प्रदूषण के आस-पास रहने से टड्ढूमर हो जाता है तथा समय से पूर्व ही गाल सफेद हो जाते हैं।
  3. नाभिकीय विस्फोट से नदियों तथा समुद्र का जल प्रदूषित हो जाता है जिससे समुद्री जीव-जंतु नष्ट हो जाते हैं।
  4. रेडियोएक्टिव तत्व स्ट्रान्शियम मृदा को नष्ट कर देता है।
  5. गामा रेडियो एक्टिव किरणें अत्यधिक खतरनाक होती हैं। अत्यधिक भेदन क्षमता होने के कारण इनसे उत्सर्जित ऊर्जा से जीवित कोशिकाएं आदि नष्ट हो जाती हैं।
  6. नाभिकीय रिएक्टरों में यू-235 ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस नाभिकीय विखंडन से अत्यधिक ऊर्जा अवमुक्त होती है जो मनुष्य एवं पेड़ पौधों के लिये हानिकारक होती है।

रेडियो एक्टिव प्रदूषण का निदान- परमाणु एवं नाभिकीय परीक्षणों को सीमित करना।