आपदा पूर्व प्रबंधन

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2016 और आपदा पूर्व प्रबंधन नीति कृषि, पर्यावरण, शहरी विकास और पंचायती राज मंत्रलय जैसे नोडल एजेंसी राष्ट्रीय स्तर पर राज्य सरकारों के साथ सहयोग करती हैं और जिला आपदा प्रबंधन तंत्र को सभी जरूरी तकनीकी मदद व सूचना मुहैया कराती है।

केंद्रीय एजेंसीयां राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को आपदा विशेष की जानकारी देती है और इन सूचनाओं पर राज्य सरकारें, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के द्वारा आपदा राहत का कार्य करती हैं। राष्ट्रीय अग्रिम आपदा तंत्र एक केंद्रीय एजेंसी है जो की प्राकृतिक आपदा के संबंध में ही चेतावनी देने का काम करती है। जिसके लिए सभी आधुनिक तकनीकों जैसे मोबाइल, इंटरनेट, उपग्रह का इस्तेमाल किया जाता है। राज्य व जिला प्रशासन संभावित आपदा क्षेत्र में हादसा कमान केंद्र राहत शिविर, आधार क्षेत्र, मचान क्षेत्र, शिविर, और हेलीपैड बनाने के लिए सुरक्षित जगहों की पहचान करेगी और सभी सुविधाओं की स्थापना करेगी।

अग्रिम आपदा सूचना देने के लिए एजेंसियां

केंद्रीय गृह मंत्रलय के अधीन राष्ट्रीय आपातकालीन परिचालन केंद्र (NEOC)-1 काम करती है। इसी तरह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकालीन परिचालन केंद्र (NEOC)-2 काम करती है।

  • राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC)
  • जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र (DEOC)
  • समेकित रक्षा स्टाफ (IDS)
  • ‘हिमस्खलन’ हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (SASE)
  • ‘चक्रवात’ भारत मौसम विज्ञान विभाग (CIMD)
  • कृषि और किसान कल्याण के लिए मंत्रलय (MHFW)
  • ‘भूकंप’ भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (EIMD)
  • ‘महामारी’ के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय (MoHFW)
  • ‘बाढ़’ के लिए केंद्रीय जल आयोग (CWC)
  • ‘भूस्खलन’ के लिए भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI)
  • ‘सुनामी’ सूचना के लिए भारत महासागर सेवा राष्ट्रीय केंद्र (INCOIS)

राज्य सरकार की जिम्मेवारी

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रें में राष्ट्रीय अग्निशमन केंद्र द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार उद्योग एवं व्यापारिक क्षेत्रें का वर्गीकरण करना। आग के तीव्र खतरे वाले, सघन आबादी वाले क्षेत्रें की पहचान करना और उन जगहों पर संभावित खतरों की सूची बनाना। ऐसे क्षेत्रें में आग लगने की स्थिति में बचाव कार्य व असहायता की स्थिति की समीक्षा करना। इन जगहों पर उपकरण और मानव शक्ति की आवश्यकता की पहचान करना और उसे उपलब्ध कराने की कार्ययोजना बनाना। जागरूकता, सतर्कता और तैयारियों की संस्कृति को बढ़ावा देना। सार्वजनिक, सुविधाएं, शहरी स्थानीय निकाय, पंचायत, और उद्योगों के लिए आग जनित आपदा के प्रति जागरूकता कार्यक्रम बनाना।

आईईसी सामग्री और व्यापक जनसंचार के माध्यम से आम जनता के बीच आग जनित आपदा से बचाव के लिए प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करना। आपदा से प्रभावित पशुओं के सुरक्षा, देखभाल और संरक्षण के बारे में जानकारी देना। आपदा प्रबंधन पर प्राथमिक प्रशिक्षण देना।

अग्निशमन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षकों (टीओटी) कार्यक्रमों का प्रशिक्षण, खोज और बचाव के रूप में प्रबंध संरचना।