ई-कचरा नियमों में संशोधान

केंद्र सरकार द्वारा देश में ई-कचरे के पर्यावरण अनुकूल प्रभावी प्रबंधन के लिए ई-कचरा नियमों में संशोधन किया गया है। देश में ई-कचरा निपटान को सुव्यवस्थित बनाने के लिए ई-कचरे के पुनर्चक्रण या उसे विघटित करने के काम में लगी इकाइयों को वैधता प्रदान करने तथा उन्हें संगठित करने के उद्देश्य से नियमों में बदलाव किया गया है।

  • नियमों में बदलाव के तहत विस्तारित उत्पादक जवाबदेही ईपीआर की व्यवस्थाओं को पुनः परिभाषित किया गया है और इसके तहत हाल में बिक्री शुरु करने वाले ई-उत्पादकों के लिए ई-कचरा संग्रहण के नए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।

ई-कचरा नियम 2016

  • ई-कचरा नियम 2016 में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Resporsibility-EPR) के तहत उत्पादकों को ई-कचरा संग्रह करने व उसके निपटान के लिए जिम्मेदार बनाया गया है। साथ ही नियमों के अंतर्गत पुनर्चक्र या वितरक ई-कचरे को 180 से अधिक दिनों तक भंडारित नहीं कर सकता तथा उन्हें ई-कचरा के संग्रहण के आंकड़ों का रिकार्ड रखना होगा।

ई-कचरा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम-2018

  • ई-कचरा संग्रहण के नए निधार्रित लक्ष्य एक अक्टूबर 2017 से प्रभावी माने जाएंगे। विभिन्न चरणों में ई-कचरे का संग्रहण लक्ष्य 2017 18 के दौरान उत्पन्न किए गए कचरे के वजन का 10 फीसद होगा जो 2023 तक प्रतिवर्ष 10 फीसदी के हिसाब से बढ़ता जाएगा। वर्ष 2023 के बाद यह लक्ष्य कुल उत्पन्न कचरे का 70 फीसदी हो जाएगा।
  • यदि किसी उत्पादक के बिक्री परिचालन के वर्ष उसके उत्पादों के औसत आयु से कम होंगे तो ऐसे नए ई-उत्पादकों के लिए ई कचरा संग्रहण के लिए अलग लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे। उत्पादों की औसत आयु समय समय पर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित की जाएगी।
  • हानिकारक पदार्थों से संबधित व्यवस्थाओं के तहत ऐसे उत्पादों की जांच के खर्च सरकार वहन करेगी।
  • ई-कचराः जब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लम्बे समय तक प्रयोग करने के पश्चात उसको बदलने या खराब होने पर फेंककर दूसरा नया उपकरण प्रयोग में लाया जाता है तो इस निष्प्रयोज्य खराब उपकरण को ई-कचरा कहा जाता है।
  • कम्प्यूटर, मोबाईल फोन, प्रिंटर्स, फोटोकॉपी मशीन, इन्वर्टर, यूपीएस, एलसीडी टेलीविजन, रेडियो/ट्रांजिस्टर, डिजिटल कैमरा आदि इसके उदहारण हैं। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 200 से 500 लाख मीट्रिक टन ई-कचरा पैदा होता है।