नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का बदलता परिदृश्य

केंद्र सरकार ने 2015 में सुरक्षा एवं विकास के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ‘राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना’ शुरू की थी, जिसका उद्देश्य देश में वामपंथी अतिवाद (Left Wing Extreemism-LWE) को समाप्त करना था। 3 वर्ष बाद सरकार का मानना है कि माओवादियों के खिलाफ चलायी जा रही इस कार्य योजना से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कमी आयी है।

  • पिछले 4 वर्षों के दौरान वामपंथी अतिवाद के परिदृश्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। हिंसा की घटनाओं में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है और 2013 की तुलना में 2017 में मृत्यु संबंधी मामलों में 34 प्रतिशत की कमी आई है।
  • गृह मंत्रालय द्वारा अप्रैल, 2018 में जारी रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्र जिसे लाल गलियारा (Red Corridore) भी कहते हैं, उसकी सीमा घटी है। नक्सली हिंसा से प्रभावित राज्यों की संख्या 11 से घटकर 10 और जिलों की संख्या 126 से घटकर 90 जिले हो गई है। ‘अति प्रभावित जिलों’ की संख्या भी 36 से घटकर 30 पर आ गई है। देश में फैली वामपंथी अतिवादी हिंसा का 90 प्रतिशत अकेले इन 30 जिलों तक सीमित है।