केरल में आई विनाशकारी बाढ़

तेज बारिश ने केरल एवं अन्य दक्षिण राज्यों में बाढ़ के भीषण हालात पैदा कर दिए थे। पिछले 100 वर्षों में यह राज्य की दूसरी भीषण बाढ़ आपदा है। इससे पहले 1924 में केरल को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था। केरल में आई इस बाढ़ के पीछे की मुख्य वजह बांध प्रबंधन की कमी थी।

  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार 23,44.84 मिमी. वर्षा दर्ज की गई जो सामान्य वर्षा (1649.3 मिमी.) से 42.17 फीसदा ज्यादा है। अगस्त माह में (1 से 18 अगस्त के मध्य) 164% अधिक वर्षा दर्ज की गई। सबसे ज्यादा वर्षा इडुक्की जिले में हुई जहां सामान्य से 92% अधिक वर्षा दर्ज की गई।
  • केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा- निर्देशानुसार आपदा स्3-स्तर (सबसे गंभीर) की घोषित की गई।

आपदा वर्गीकरण

  • L0: इस स्तर पर निगरानी, रोकथाम, अल्पीकरण, खोज एवं बचाव कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • L1: L1 स्तर पर आपदा का जिला स्तर पर प्रबंधन किया जाता है तथा राज्य एवं केन्द्र जरूरत पड़ने पर सहायता के लिए तैयार रहते हैं।
  • L2: L2 स्तर पर आपदा के लिये राज्य की मदद और सहभागिता की जरूरत होती है। राज्य द्वारा संसाधानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है।
  • L3: शीर्ष स्तर, जिसमें राज्य एवं जिले स्वयं आपदा का सामना नहीं कर पाते हैं। L3 स्तर पर केन्द्र सरकार राज्य एवं जिला प्रशासन की सहायता करते हैं।