वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, 2018

भारतीय रिजर्व बैंक ने जून 2018 को वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) जारी की जो इस श्रृंखला में 17वीं रिपोर्ट है। एफएसआर (FSR), भारतीय वित्त प्रणाली की स्थिरता तथा वैश्विक एवं घरेलू कारकों से उत्पन्न जोखिमों के प्रति लोच के समग्र मूल्यांकन को दर्शाता है। रिपोर्ट, वित्तीय क्षेत्र के विकास एवं विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करती है।

प्रणालीगत जोखिमों का आकलनः

  1. हालिया मंदी के बावजूद 2018 के लिए वैश्विक विकास दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। हांलाकि, उभरते हुए बाजारों का उन्नत वित्तीय बाजारों के पुराने जमा स्टॉक से जोखिम बढ़ गया है।
  2. विकसित देशों के बाजारों में पूंजी तरलता की स्थिति को मजबूत करने तथा साथ ही विस्तारित अमेरिकी राजकोषीय नीति एवं मजबूत अमेरिकी डॉलर से उभरते हुए बाजारों की मुद्राओं, बांड एवं पूंजीगत प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वस्तु की कीमतों को स्थायी करने से भू-राजनीतिक विकास में वृद्धि तथा संरक्षणवादी भावनाएँ विकसित होने के जोखिम बढ़ गए हैं।
  3. घरेलू मोर्चे पर, आर्थिक विकास मजबूत हो रहा है। हालांकि, पिछले कुछ वषों में मजबूत राजकोषीय समेकन, मुद्रास्फीति में संतुलन तथा चालू खाता घाटे में मामूली कमी से स्थितियां बदल रही हैं और इस बदलाव के प्रति सावधानी बरतने की जरूरत है।
  4. घरेलू वित्तीय बाजारों में, संरचनात्मक बदलाव से क्रेडिट मध्यस्थता के पैटर्न बदल रहे हैं और इससे बाजार ब्याज दर प्रभावित हो रही हैं। जबकि विकास की इन घटनाओं से अर्थव्यवस्था के विविध वित्त पोषण के स्वस्थ संकेत मिलते हैं परंतु वित्तीय स्थिरता के संरक्षण के लिए अधिक सतर्क प्रणाली की जरूरत है।