राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया कि वायु प्रदूषण से श्रम उत्पादकता में नुकसान के कारण भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 8 प्रतिशत (लगभग) घाटा झेला और मौद्रिक रूप में इससे 4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह घटती वायु गुणवत्ता जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन भी है, क्योंकि ‘‘स्वच्छ हवा का अधिकार" इस मौलिक अधिकार में शामिल है।

इस कठोर वास्तविकता से निपटने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को राष्ट्रीय स्तर की एक मध्यम अवधि की रणनीति के रूप में तैयार किया है, ताकि देश भर में बढ़ती वायु प्रदूषण समस्या से व्यापक तरीके से निपटा जा सके।

एनसीएपी के उद्देश्य

  • पूरे भारत में प्रभावी वातावरण वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क का विस्तार और विकास करना।
  • वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और समाप्ति के लिए व्यापक प्रबंधन योजना सुनिश्चित करना।
  • केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और अन्य हितधारकों के साझा और सहयोगी भागीदारी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना।
  • वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन के लिए प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करने के लिए ‘प्रौद्योगिकी मूल्यांकन सेल’ की परिकल्पना की गई है।
  • हर शहर के लिए विशिष्ट वायु प्रदूषण समाप्ति की कार्य योजना तैयार करना।
  • डेटा विश्लेषण और अनुसंधानों के निरीक्षण के लिए वायु सूचना केंद्र की स्थापना।

कार्यक्रम का महत्व

  • वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नीति आयोग के ‘‘ब्रीद इंडिया" एक्शन प्लान के अनुरूप है।
  • वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
  • निगरानी स्टेशनों की बढ़ती संख्या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) के क्षमता निर्माण प्रयास और बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाएगी।
  • अधिक से अधिक डेटा प्रसार सार्वजनिक जागरुकता और नियोजन के साथ-साथ कार्यान्वयन चरण में भागीदारी सुनिश्चित करता है।
  • समस्या से निपटने के लिए प्रदूषण के स्रोतों की पहचान की जरूरत है।
  • इनडोर वायु प्रदूषण के लिए एक राष्ट्रीय उपकरण सूची एवं दिशानिर्देश और ग्रामीण निगरानी स्टेशन स्थापित करना।

कार्यक्रम की आलोचना

  • समयबद्ध मात्रात्मक राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की अनुपस्थिति।
  • वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपर्याप्त प्रवर्तन तंत्र के मुद्दे के हल की विफलता।
  • वाहन प्रदूषण की अनियंत्रित वृद्धि और अक्षम ताप विद्युत संयंत्रों की जांच करने के लिए वैधानिक समर्थन का अभाव।
  • जमीनी प्रयासों पर नजर रखने के लिए सीपीसीबी के सूचना तंत्र का अभाव।
  • प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों की पहचान में विफलता।

आगे की राह (नीति आयोग का "breathe india" प्लान)

1. ZEVs के माध्यम से ड्राइव मोबिलिटी (शून्य-उत्सर्जन वाहन)

  • इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के वितरण में वृद्धि, 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहनों को अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना।
  • अक्षय बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान।
  • विद्यमान पेट्रोल वाहनों को विद्युत चालित बनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • ई-रिक्शा के माध्यम से अंतिम छोर तक संपर्क को बढ़ावा देना।

2. वाहनों के उत्सर्जन को घटाने के लिए कड़े उपाय लागू करना

  • 2020 के बाद से बड़े पैमाने पर शुल्क और छूट (Feebate) का कार्यक्रम लागू किया जाए। एक Feebate नीति द्वारा अक्षम या प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर अधिभार (शुल्क) लगता है, जबकिप्रदूषण नहीं फैलाने वाले वाहन छूट प्राप्त करते हैं।
  • निजी वाहन स्वामित्व के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाए। निजी वाहन के उपयोग को कम करने के लिए भीड़-भाड़ मूल्य निर्धारण, करों में वृद्धि और बीमा, पार्किंग का उच्च शुल्क निर्धारित करने की आवश्यकता है।
  • कम सल्फर ईंधन (10 पीपीएम) और टैल पाइप उपचार प्रौद्योगिकियों (tail pipe treatment technologies) का उपयोग करना।
  • इंजन उत्सर्जन के लिए भारत VI मानकों का समय पर कार्यान्वयन।
  • वाहन स्क्रैपिंग नीति (vehicle scrapping policy) को लागू करना और वाहनों के आधुनिकीकरण को सुनिश्चित करना।

3. बिजली क्षेत्र का सुधार करके उत्सर्जन को कम करना

  • पुराने और अकुशल बिजली संयंत्रों को योजनाबद्ध रूप से बंद करने में तेजी लाना।
  • गतिशील संचालन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुशल ताप विद्युत संयंत्रों का उन्नयन।
  • छतों पर लगाए जाने वाले सौर संयंत्रों से उत्पादन और वितरण व्यवस्था को बढ़ावा।
  • उच्च दक्षता पर संचालित करने के लिए बिजली संयंत्रों को उच्च ग्रेड वाले कम प्रदूषणकारी कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • डीजल पावर जेनरेटर के उपयोग को खत्म करने के लिए शहरी क्षेत्रों में बिजली की विश्वसनीयता में सुधार पर बल देना। इससे शहरी औद्योगिक प्रदूषण कम होता है।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नया उपकरण

पर्यावरण मंत्रालय ने नई दिल्ली में एक वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण स्थापित किया है, जिसे ‘‘विंड ऑग्मेंटेशन प्यूरीफिकेशन यूनिट (WAYU)’’ कहा जाता है। यह यंत्र उच्च यातायात वाले क्षेत्रों जैसे चौराहों और पार्किंग क्षेत्रों में अस्थिर कार्बनिक यौगिकों और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को हटाकर वायु प्रदूषण को कम करताहै। यह यंत्र दो सिद्धांतों पर काम करता है, जिसमें वायु प्रदूषकों को कमकरने के लिए निरंतर हवा का प्रवाह सुनिश्चित करने के साथ-साथ वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों का ऑक्सीकरण किया जाता है। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की नागपुर स्थित प्रयोगशाला के साथ ‘‘स्ट्रीट कैन्यन" प्रभाव से निपटने के लिए यह उपकरण विकसित किया है।

"स्ट्रीट कैन्यन" प्रभावः यह देखा गया है कि अधिकांश घने यातायात वाले क्षेत्रों में वाहन के धुएं के साथ-साथ सड़क की धूल से होने वाला प्रदूषण कम नहीं होता है और हवा में ही बना रहता है। बाद में यह पता चला कि ट्रैफिक जोन के पास ऊंची इमारतों की मौजूदगी हवा के प्रवाह को रोकती हैं, जिससे स्ट्रीट कैन्यन प्रभाव नामक घटना का जन्म होता है।

4. औद्योगिक वायु प्रदूषण के लिए नियामक ढांचा सुधार

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मानकों और कार्यों को संशोधित करना।
  • वर्टेक्स सेपरेटर (Vortex Separators), इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर (Electrostatic precipitators), सेटलिंग चैंबर (Settling chambers) आदि, जैसे उपकरणों की स्थापना के लिए संशोधित नियामक ढांचे को विकसित करने की आवश्यकता है।
  • स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों के लाभकारी कोयला संवर्धन का अनिवार्य उपयोग।
  • डीजल पॉवर जेनरेटर के लिए उत्सर्जन मानक।
  • छोटे बॉयलरों में कोयले के बजाय प्राकृतिक गैस का उपयोग।
  • अत्यधिक प्रदूषणकारी ईंधन जैसे पेट कोक और फर्नेंस ऑयल (Furnace Oil) के उपयोग पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाना।
  • ऑडिट प्रक्रिया में सुधार करना और स्व-ऑडिट की वर्तमान प्रथा को बदलना चाहिए, जिसमें उद्योग ऑडिटरों का प्रबंधन और उनको भुगतान करते हैं।
  • प्रदूषणकारी उद्योगों के खिलाफ राज्य स्तर पर कानून प्रवर्तन को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
  • प्रदूषण के स्रोतों को दिखाने के लिए एक प्रतिस्पर्धात्मक ‘वायु प्रदूषण सूचकांक’ का निर्माण करना। यह राज्यों को क्रम प्रदान करने और प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद के माध्यम से प्रतिस्पर्धा निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। साझा स्वच्छ वायु कोष से राज्यों को प्रदर्शन से जुड़े पुरस्कार भी वायु प्रदूषण से निपटने में सहायक हो सकते हैं।

5. ‘‘प्रदूषक द्वारा भुगतान" की अवधारणा पर आधारित एक राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार प्रणाली को लागू करना

6. स्वच्छ निर्माण प्रथाओं को अपनाना

  • निर्माण परियोजनाओं के लिए अनिवार्य पर्यावरणीय जोखिम मूल्यांकन।
  • निर्माण प्रक्रिया को शामिल करके ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग के मापदंडों को संशोधित करना।
  • स्मॉग मुक्त टावरों की स्थापना करना, जो उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषित हवा को साफ करते हैं। इन्हें निर्माण गतिविधि स्थलों पर स्थापित किया जा सकता है।
  • साइट बैच कंक्रीट (Site Batch Concrete) के उपयोग के दुष्प्रभावों को खत्म करने के लिए तैयार कंक्रीट का उपयोग अनिवार्य करना।

7. फसल अवशेषों के उपयोग के लिए एक व्यवसाय मॉडल लागू करना

बड़ी कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन कंपनियों द्वारा फसल अवशेषों की सीधी खरीद।

  • किसानों से फसल अवशेष खरीदने और धान एवं गन्ना कृषि प्रधान राज्यों में कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन कंपनियों के नए संयंत्रों की स्थापना के लिए बाजार शक्तियों को प्रोत्साहित करना।
  • राज्य सरकारों को इस उद्देश्य के लिए नाबार्ड के माध्यम से ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) का उपयोग करने की आवश्यकता है।
  • धान की पराली के लिए एक अंतर-राज्य व्यापार मॉडल को लागू करना।
  • जहां शून्य-दहन देखा जाता है, वहां प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन के साथ PRIs को पुरस्कृत करना।

8. एक एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन नीति को लागू करना

  • उत्पादों के एक जीवन चक्र दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिए विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) को लागू करें।
  • लैंडफिल करों और विनियमन को अपनाना।
  • ऊर्जा प्रणालियों में कचरे के उपयोग को बढ़ाना।
  • अपशिष्ट प्रसंस्करण को विकेंद्रीकृत करना, जैसा बेंगलुरु में अपशिष्ट पृथक्करण और अलाप्पुझा में पाइप और एरोबिक खाद द्वारा प्रदर्शित किया गया।
  • अपशिष्ट प्रबंधन में आरंभिक ब्लॉकचेन पहल करना।

राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन (एनईएसएम)

ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में प्रगति के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से एनईएसएम को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। यह एक सक्षम नीति और नियामक ढांचे का निर्माण करके विनिर्माण, अनुप्रयोग, नवाचार और लागत में कमी को प्रोत्साहित करता है। मिशन ने तीन चरणीयहल दृष्टिकोण (थ्री स्टेज सॉल्यूशन अप्रोच) का प्रस्ताव रखा है, यानी बैटरी निर्माण वृद्धि के लिए वातावरण तैयार करना, आपूर्तिश्रृंखला रणनीतियों में वृद्धि और बैटरी सेल निर्माण को बढ़ाना। जिन मुख्य क्षेत्रों में ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोग महत्वपूर्ण होगा, उनमें शामिल हैं:

  • वितरण और पारेषण ग्रिड के साथ अक्षय ऊर्जा को एकीकृत करना।
  • विविध भार या एकल (स्टैंड-अलोन) सिस्टम के साथ ग्रामीण माइक्रो ग्रिड स्थापित करना।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों की तरह इलेक्ट्रिक विमानों के लिए भंडारण घटक विकसित करना।

9. शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से शहरी धूल से निपटना

  • सड़कों पर धूल को अवशोषित करने वाले और पानी के छिड़काव वाले वाहनों को तैनात करके धूल हटाने के कार्य को यांत्रिक बनाना।
  • एकत्र धूल को ईंटों में बदलना और ईंट भट्ठों को स्थानांतरित करना।
  • सड़कों पर पानी का छिड़काव सुनिश्चित करना और सड़कों की व्यक्तिगत सफाई को समाप्त करना।
  • वास्तविक समय ट्रैकिंग के लिए वाहनों को जीपीएसयुक्त करना।
  • थर्ड पार्टी मूल्यांकन और प्रमाणन।
  • लैंडफिल को वनस्पतियों से ढंकना और पुनर्वनीकरण का प्रयास करना।
  • प्रदूषण को अवशोषित करने वाले पौधों की किस्मों का उपयोग करके उर्ध्वाधर उद्यान लगाना।
  • नालों की सफाई।

10. जंगल की आग से निपटने के प्रयासों को एकीकृत करना

  • जंगल की आग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए व्यापक राष्ट्रीय नीति को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।
  • पूर्व चेतावनी अलार्म सिस्टम और खतरे की रेटिंग उपलब्ध करना।
  • अनिवार्य प्रशिक्षण और आग के मौसम से पहले कार्यशालाएं करना।
  • अग्निशमन उपकरण और वाहनों की खरीद।
  • फायर ब्रिक्स और फायर लाइनों की अनिवार्यता का प्रावधान करना।
  • जल भंडारण संरचनाओं का निर्माण।

11. खाना पकाने के स्वच्छ तरीकों को प्रोत्साहन

  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से स्वच्छ ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  • ईंधन कुशल चूल्हा के वितरण को बढ़ावा देना।
  • स्वस्थ वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अच्छे हवादार घरों को सुनिश्चित करना। इस दृष्टिकोण को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के साथ जोड़ा जा सकता है।

12. राष्ट्रीय स्तर के एक लक्षित आईईसी अभियान के द्वारा व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से सार्वजनिक स्वामित्व को आगे बढ़ाना।

13. सुसंगत और परिमाणित राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय और क्षेत्रीय योजना का विकास करना।

14. वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली में सुधार।

15. श्रेणीबद्ध आकस्मिक कार्य योजना विकसित करना, जो घने शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण के बदलते स्तरों के लिए एक प्रतिक्रिया तंत्र के रूप में काम करेगी।