राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम

राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम को वाहन निर्माताओं, चार्जिंग बुनियादी ढांचा कंपनियों, फ्रलीट ऑपरेटरों और सेवा प्रदाताओं सहित पूरे ई-मोबिलिटी वातावरण को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू किया गया है। कार्यक्रम को एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) द्वारा लागू किया जाना है।

कार्यक्रम का उद्देश्य

  • स्वदेशी इलेक्ट्रिक विनिर्माण क्षमताओं का विकास सुनिश्चित करना और राष्ट्रीय ईंधन सुरक्षा प्राप्त करना।
  • भारत में विद्यमान इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की संख्या बढ़ाने के राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना 2020 के सपने को साकार करना।
  • अर्थव्यवस्था के पैमाने पर और सरकारी विभागों को उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए थोक में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए EESL आवश्यक है।
  • 2030 तक 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देना।
  • विश्वसनीय, सस्ते और कुशल इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना जो उपभोक्ता की प्रदर्शन और मूल्य अपेक्षाओं को पूरा करते हैं।
  • पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से सरकार के पेट्रोल और डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने में सहायता।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), एक संधि-आधारित अंतर्राष्ट्रीय अंतर सरकारी संगठन है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की कार्यवाही का एक बड़ा प्रयास बन गया है। आईएसए का मुख्यालय भारत में गुरुग्राम, (हरियाणा) में है। यह कोप-21 (COP-21) के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति की संयुक्त पहल है। इसका उद्देश्य पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित सौर समृद्ध देशों के बीच बेहतर सामंजस्य और मांग के समूहन से बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा के प्रयोग में आने वाली बाधाओं को दूर करना है। गठबंधन का उद्देश्य निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ‘‘वन वर्ल्ड, वन सन एंड वन ग्रिड" के सपने को साकार करना है।

आईएसए में वर्तमान में चल रहे कार्यक्रमों में कृषि के लिए सौर ऊर्जा उपकरणों के उपयोग को बढ़ाना, बड़े पैमाने पर सस्ता वित्त, सोलर मिनी-ग्रिड विस्तार, सोलर रूफटॉप और सोलर ई-मोबिलिटी और भंडारण विस्तार शामिल हैं।

सामान्य जोखिम शमन तंत्र (CRMM): यह आईएसए द्वारा सदस्य देशों में सौर परियोजनाओं की वित्तीय लागत को कम करने और जोखिम घटाने के लिए विकसित एक तंत्र है। यह व्यवस्था पारस्परिक सार्वजनिक संसाधनों पर जोखिमों को साझा करने और विविधिकरण में मदद करेगी और महत्वपूर्ण निवेशों का मार्ग खोलेगी।

MOVE: ग्लोबल मोबिलिटी समिट

भारत का पहला ‘ग्लोबल मोबिलिटी समिट’ नीति आयोग द्वारा नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। शिखर सम्मेलन का फोकस गतिशीलता के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और विभिन्न प्लेटफार्मों पर गतिशीलता बढ़ाने में शामिल विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाना था। नीति आयोग ट्रांसफार्मिंग मोबिलिटी के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से राज्य कार्य बल की स्थापना के द्वारा राज्य विशिष्ट व्यापक रणनीति तैयार करने के आग्रह के साथ-साथ सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद की भावना को बढ़ावा देता है। वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्मेलन में 5 विषयगत सत्र थेः

  1. संसाधन उपयोग अधिकतम करना।
  2. व्यापक विद्युतीकरण और वैकल्पिक ईंधन।
  3. सार्वजनिक परिवहन का पुनर्निर्माण।
  4. माल परिवहन और रसद।
  5. डेटा विश्लेषण और गतिशीलता।

आगे की राह

  • राष्ट्रीय विद्युत मिशन को संवैधानिक दर्जा देकर उसके अंतर्गत नेशनल काउंसिल फॉर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (एनसीईएम) और नेशनल बोर्ड फॉर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (एनबीईएम) को सशक्त बनाना।
  • सरकार के साथ-साथ मोटर वाहन उद्योग की पहल न होने के कारण राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना का उद्देश्य विफल हो सकता है। इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है।
  • किफायती नवाचार के क्षेत्र में अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
  • कार्यक्रम के उद्देश्य को साकार करने के लिए अत्यधिक पूंजी अनिवार्य है, लेकिन इसमें शामिल अप्रत्यक्ष सकारात्मक सामाजिक लागतों का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
  • इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड दोनों प्रकार के वाहनों के बाजार निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए FAME India योजना के दायरे को बढ़ाना।
  • ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार बीएस6 मानदंडों का सख्त प्रवर्तन।
  • पेट्रोल आयात पर हमारी निर्भरता और चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में कार्यक्रम का कार्यान्वयन।