टीपीडीएस का संचालन आरंभ

जून 1997 में भारत सरकार ने गरीबों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) राशन कार्ड/लाभार्थी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण होने के परिणामस्वरूप, आधार लिंकिंग के कारण डी-डुप्लिकेशंस, स्थानांतरण/प्रवासन/मौत, लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन और एनएफएसए के संचालन और कार्यान्वयन की प्रक्रिया में वर्ष 2013 से लेकर 2017 तक (नवंबर 2017 तक) राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा कुल 2.75 करोड़ राशन कार्ड को समाप्त/रद्द कर दिया गया है। इसके माध्यम से सरकार प्रतिवर्ष लगभग 17,500 करोड़ रुपये की ‘खाद्य सब्सिडी का उचित लक्ष्यीकरण‘ प्राप्त करने में सक्षम हो सकी है।

  • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लाभार्थियों के राशन कार्ड के साथ उनके आधार कार्ड के नंबर को जोड़ा जा रहा है। वर्तमान समय में, 85.61 प्रतिशत राशन कार्डों को जोड़ा जा चुका है।