DNA प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधोयक, 2018

हाल ही में सरकार ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 पारित किया। इस उद्देश्य पीड़ितों, अपराधियों और लापता व्यक्तियों सहित कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की पहचान स्थापित करने के लिए डीएनए प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देना है।

प्रावधान

  • विधेयक एक अनुसूची में सूचीबद्ध मामलों के संबंध में व्यक्तियों की पहचान स्थापित करने के लिए DNA प्रौद्योगिकी के उपयोग को नियंत्रित करता है, जिसमें आपराधिक मामले (जैसे कि भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत अपराध) और नागरिक मामलों जैसे कि उत्प्रवास या आप्रवासन और मानव अंगों का प्रत्यारोपण शामिल हैं।
  • विधेयक के अनुसार एक राष्ट्रीय DNA डेटा बैंक और क्षेत्रीय डीएनए डेटा बैंक स्थापित किया जाएगा। बिल के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक डेटा बैंक को निम्नलिखित सूचकांकों को बनाए रखना आवश्यक है- (i) अपराध दृश्य सूचकांक, (ii) संदिग्ध या उपक्रमों का सूचकांक, (iii) अपराधियों का सूचकांक, (iv) लापता व्यक्तियों का सूचकांक और (v) अज्ञात मृतक व्यक्तियों का सूचकांक।
  • विधेयक DNA प्रयोगशालाओं को मान्यता देने के लिए एक डीएनए नियामक संस्थान की स्थापना करता है, जो किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए डीएनए नमूनों का विश्लेषण करता है।
  • विधेयक में पुलिस रिपोर्ट या अदालत के आदेश पर संदिग्धों के डीएनए प्रोफाइल को हटाने का प्रावधान है। कोर्ट के आदेश के आधार पर उपक्रमों के डीएनए प्रोफाइल को हटाया जा सकता है।