भारत ग्रामीण आजीविका प्रतिष्ठान (बीआरएलएफ़)

बीआरएलएफ की स्थापना भारत सरकार ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र समाज के रूप में 2013 में की; ताकि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में नागरिक समाज सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

संगठन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं -

  • ग्रामीण परिवारों के विकास के लिए नागरिक समाज संगठनों और सरकार के बीच घनिष्ठ समन्वय स्थापित करना, विशेष रूप से मध्य भारतीय जनजातीय क्षेत्र में महिलाओं को शामिल करते हुए।
  • केंद्रीय भारतीय जनजातीय क्षेत्र में समुदायों के आजीविका से सम्बन्धित कार्यक्रमों और योजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए नागरिक समाज संगठनों को वित्तीय तथा तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  • मौजूदा और इच्छुक ग्रामीण पेशेवरों के क्षमता निर्माण से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करना, जो विभिन्न सरकारी विभागों, पीआरआई, गैर सरकारी संगठनों और सीबीओ के माध्यम से ग्रामीण समुदायों की सेवा करते हैं।
  • निजी ट्रस्टों और परोपकारी संगठनों से सहयोग कर, सतत और रचनात्मक समर्थन के लिए प्रोत्साहित करना।
  • अभिनव कार्यक्रमों, प्रौद्योगिकी और दृष्टिकोणों का समर्थन करना, जो मध्य भारत में रहने वाले समुदाय के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।
  • यह ग्रामीण क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा के लिए वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करता है।

निष्कर्ष

  • ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक समस्याएं व्यापक आयामों के साथ अत्यधिक जटिल है। कोई भी एक संस्था/संगठन इन मुद्दों को अकेले हल नहीं कर सकता है। पंचायती राज के स्तर पर विकास में सहयोग एवं समन्वय के लिए सहकारी समितियां, वित्तीय संस्थान, अनुसंधान संस्थान और स्वैच्छिक एजेंसियां आदि संगठनात्मक उपकरण हैं। इसके साथ ही, ग्रामीण विकास के लिए विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण और भागीदारी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है; जिसमें प्रशासनिक ढांचा, स्व-शासन समूह, लाभार्थियों आदि सभी हितधारकों की भागीदारी हो।