राष्ट्रमंडल स्थानीय सरकार फ़ोरम (सीएलजीएफ़)

1995 में गठित, सीएलजीएफ स्थानीय सरकारों के लिए एक मंच के रूप में काम करता है, जिसके अंतर्गत स्थानीय सरकारी संघों, व्यक्तिगत स्थानीय अधिकारियों, स्थानीय सरकार के मंत्रालय और अनुसंधान तथा पेशेवर संगठन आदि आते हैं। सीएलजीएफ यह सुनिश्चित करता है कि स्थानीय सरकार की आवाजें न सिर्फ सुना जाये, बल्कि राष्ट्रमंडल में पहचानी भी जाये। इसके 53 कॉमनवेल्थ देशों के 200 सदस्य हैं।

  • सीएलजीएफ वर्तमान में व्यापक डीएफआईडी (अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग) वित्त पोषित कार्यक्रम के रूप में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में काम कर रहा है। यह स्थानीय प्रशासन और स्थानीय आर्थिक विकास का समर्थन करता है।

निष्कर्ष

भारतीय शहरी विकास जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि यह क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों मुद्दों से जुड़ा है। अतः इसके समाधान सादे और सरल नहीं हो सकते। भविष्य की कोई भी नीतिगत पहल निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए -

  • सुसम्बद्ध और चरणबद्ध विकास।
  • हाइवे कॉरिडोर का विकास।
  • कम लागत के आवास निर्माण एवं उप्लाब्धता पर ध्यान केंद्रित करना।
  • उचित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करना।
  • हरित मानक आधारित परिवहन प्रणाली।
  • भूजल संरक्षण और उचित ठोस अपशिष्ट निपटान।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य और शिक्षा।
  • हरित स्थल का विकास।
  • सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करना।