कॉप -25

स्पेन की राजधानी मेड्रिड में विश्व के वार्षिक जलवायु सम्मेलन ‘COP-25’ (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज) का आयोजन किया गया। दक्षिण अमेरिकी देश चिली में जारी विरोध प्रदर्शन के चलते चिली ने COP-25 की मेजबानी से अलग हुआ है। इस शिखर सम्मेलन में ‘एमिशन गैप रिपोर्ट’ एवं ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट की रिपोर्ट को भी जारी किया गया।

  • इस सम्मलेन के साथ क्योटो प्रोटोकॉल के पत्रकारों की 15वीं बैठक सीएमपी 15 (meeting fo the Parties to the Kyoto Protocol-CMP 15) और पेरिस समझौते के पत्रकारों की दूसरी बैठक सीएमए-2 (meeting of the parties to the Paris Agreement-CMA 2) भी आयोजित की गई।

प्रमुख तथ्य

कॉप 25 के समापन के अवसर पर की गई घोषणा में पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के अनुरूप वैश्विक तापन (global warming) के लिए उत्तरदायी गैसों में कटौती के लिए तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया।

  • सम्मलेन के दौरान बढ़ते तापमान के कारण होने वाली हानि के लिए विकासशील देशों द्वारा उत्तरदायित्व तय करने पर जोर दिया गया, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका ने विरोध किया।
  • इस दौरान छोटे द्वीपीय देशों ने सभी देशों द्वारा जलवायु कार्रवाई योजनाओं की प्रतिबद्धता तय करने पर जोर दिया। उल्लेखनीय है कि छोटे द्वीपीय देशों के समक्ष ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र जल स्तर में वृद्धि के कारण डूब जाने का खतरा बना हुआ है।
  • इस तरह की मांगों का मुख्य रूप से चीन, भारत और ब्राजील जैसे बड़े विकासशील देशों ने विरोध करते हुए यह तर्क दिया कि किसी भी नई प्रतिबद्धता को तय करने से पहले विकसित देशों को अपने अतीत और वर्तमान में किये गए वादों को पूरा करना चाहिए।
  • विकासशील देशों ने इस ओर ध्यान दिलाया कि वर्तमान की यह स्थिति विकसित देशों द्वारा किये गए अंधाधुंध विकास का परिणाम है। यूरोपीय संघ ने वर्ष 2050 तक कार्बन शून्यता की स्थिति लाने का संकल्प व्यक्त किया है तथा साथ ही 73 देशों ने घोषणा की है कि वे जलवायु कार्यवाही के लिए बेहतर योजना प्रस्तुत करेंगे।
  • सम्मलेन में वारसा इंटरनेशनल मैकेनिज्म (Warsaw International Mechanism-WIM) को लेकर भी भ्रम की स्थिति रही। डब्ल्यूआईएम की स्थापना जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जुड़े नुकसान और क्षति को संबोधित करने के लिए पोलैंड में आयोजित कॉप-19 के दौरान की गई थी।
  • सम्मेलन में पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत कार्बन बाजार पर भी कोई निर्णय नहीं हो सका। 2015 में हुए पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के अंतर्गत सदस्य देशों ने विकासशील देशों की सहायता के लिए एक वैश्विक कार्बन बाजार प्रणाली स्थापित करने पर सहमति दी थी।
  • अगला जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप-26 स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में दिसम्बर 2020 में आयोजित किया जाएगा।

कॉप

वर्ष 1992 में आयोजित पृथ्वी शिखर सम्मेलन में तीन कन्वेंशनों की घोषणा की गयी थी। उनमें से एक ‘संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज’ (यूएनएफसीसीसी) का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के लिए पर्यावरण के साथ खतरनाक मानवीय हस्तक्षेप को रोकना है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के ढांचे, यानी यूएनएफसीसीसी में शामिल सदस्यों का सम्मेलन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी-कॉप) कहलाता है।

  • ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को स्थिर करने और पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने के लिए 1994 में यूएनएफसीसीसी का गठन हुआ था। यूएनएफसीसीसी का प्रथम कॉप सम्मेलन वर्ष 1995 में बर्लिन में हुआ था।