सौर शहरों का विकास

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) सौर शहरों के विकास पर एक कार्यक्रम लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता उपायों के माध्यम से शहर की पारंपरिक ऊर्जा की अनुमानित मांग का न्यूनतम 10% कम करना है।

  • इस योजना के तहत विकसित सौर शहरों में सभी प्रकार की अक्षय ऊर्जा आधारित परियोजनाएं होंगी; जैसे सौर, पवन, बायोमास, अपशिष्ट आदि से ऊर्जा उत्पादित करने की परियोजनाएं। इसे स्थानीय स्तर की आवश्यकता और उपलब्ध संसाधन के आधार पर, ऊर्जा दक्षता उपायों के साथ स्थापित किया जा सकता है।

प्रस्तावित कार्रवाई

  • ‘सोलर सिटी सेल’ बनाना।
  • सौर शहर हितधारक समितियों (solar city stakeholder committees) का गठन करना।
  • विशेष रूप से ऊर्जा कुशल वाणिज्यिक और संस्थागत ग्रीन बिल्डिंग निर्माण के लिए राष्ट्रीय रेटिंग प्रणाली को बढ़ावा देना।
  • साठ शहरों को ग्यारहवीं योजना अवधि के दौरान सौर शहरों के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव दिया गया था।
  • जून 2019 तक, 50 शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है, जबकि 21 शहरों में हितधारक समितियों (stkaeholder committees) का गठन किया गया है और 37 शहरों में सोलर सिटी सेल बनाए गए हैं।

मुद्दा और सुधार

  • कई शहर उपभोक्ता रुचि के कारण पिछड़ गए हैं, जिसका कारण उच्च अपफ्रंट पूंजी निवेश की आवश्यकता, उपलब्ध प्रोत्साहन के बारे में जागरुकता की कमी, अनुकूल नियमों का अभाव आदि है।
  • शहर प्रशासन और डिस्कॉम, उद्ग्रहण को बढ़ाने के लिए उपयोगिता-केंद्रित (utility-centric) व्यवसाय मॉडल को अपना सकते हैं, जिससे स्थानीय मांग का प्रबंधन और अधिक कुशलता से आपूर्ति हो सके। उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए शुद्ध पैमाइश या सकल पैमाइश या दोनों के संयोजन के साथ अभिनव व्यापार मॉडल का पता लगाया जा सकता है।