निःशुल्क विधिक सहायता सेवाओं का अनुभवजन्य विश्लेषण

जुलाई 2019 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली द्वारा विधिक प्रतिनिधित्व की गुणवत्ता भारत में निःशुल्क विधिक सहायता सेवाओं का अनुभवजन्य विश्लेषण नामक एक रिपोर्ट जारी की। निःशुल्क विधिक सेवा के माध्यम से उन लोगों को विधिक सहायता प्रदान की जाती है, जो अपने लिए दीवानी एवं आपराधिक मामलों के लिए एक वकील की सेवाओं और न्यायिक प्रक्रिया की लागत का वहन करने में असक्षम होते हैं। भारत में निःशुल्क विधिक सहायता अथवा निःशुल्क विधिक सेवाओं का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूल अधिकार है। सरकार ने 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के तहत संविधान में अनुच्छेद 39। को अंतःस्थापित किया गया था, जो राज्य को उपयुक्त कानून, योजनाओं अथवा किसी अन्य विकल्प के द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने हेतु निर्देशित है।

फास्ट ट्रैक कोर्ट्स

हाल ही में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (दिल्ली) द्वारा किये गये अध्ययन में पाया गया कि भारत में फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की कार्यप्रणाली लगातार मंद होती जा रही है। इसकी स्थापना वर्ष 2000 में सत्र न्यायालयों में लम्बे समय से लंबित मामलों का निपटारा करने और विचाराधीन कैदियों के दीर्घावधि से लंबित मामलों के समयबद्ध तरीके से निपटान हेतु किया गया था।