न्यायाधिकरणों पर विधि आयोग की रिपोर्ट

अक्टूबर 2017 में विधि आयोग ने अपनी 272वीं रिपोर्ट में देश में न्यायाधिकरण प्रणाली के कामकाज में सुधार के लिए विस्तृत प्रक्रियाओं को निर्धारित किया। विधि आयोग द्वारा न्यायाधीशों की अर्हता, न्यायाधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति तथा उनके कार्यकाल के संबंध में अनुसंशा की गई। भारत में न्यायाधिकरण की शुरूआत स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संविधान में अनुच्छेद 323। और 323ठ को अंतःस्थापित कर किया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्रधिकार

परिसंघीय न्यायालयः संविधान के अनुच्छेद 131 ने उच्चतम न्यायालय को संघ एवं राज्यों के बीच अथवा राज्यों में आपस के न्यायाधीन विवादों का अवधारण करने की आरंभिक और अनन्य अधिकारिता दी है।

संविधान का परिरक्षकः सर्वोच्च न्यायालय विनिश्चय करेगा कि किसी संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन हुआ है अथवा नहीं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि संविधान ही ऐसी उच्च विधि है, जिसके अधीन विधानमंडल सामान्य विधि बनाता है।

अपीलीय क्षेत्रधिकारः सर्वोच्च न्यायालय देश का सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय है। सामान्यतः इस न्यायालय में अपील तभी की जाती है, जब कोई मामला संविधान की व्याख्या से संबंधित हो एवं विधि के प्रश्न से जुड़ा हो।

सलाहकारी शक्तियां: राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय से विधि या अन्य किसी विषय पर सलाह ले सकता है, यद्यपि यह सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होगी।