राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP)

NCAP समयबद्ध तरीके से लागू किया जाने वाला एक पाँच वर्षीय कार्यक्रम है, जिसका मुख्य मकसद वायु प्रदूषण को रोकना है। इस प्रोग्राम में प्रदूषण रोक-थाम से जुड़े केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और दूसरे अन्य हितधारकों को शामिल किया जायेगा। इसके जरिए प्रदूषण और संस्थानों के बीच आपसी समन्वय के सभी स्रोतों पर ध्यान दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में 102 प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण कम करने का लक्ष्य रखा गया है।

  • इसके तहत 2017 को आधार वर्ष मानते हुए वायु में मौजूद PM 2.5 और PM10 पार्टिकल्स को 20 से 30 फीसदी तक कम करने का ‘अनुमानित राष्ट्रीय लक्ष्य’ रखा गया है।
  • इस प्रोग्राम के तहत राज्यों को आर्थिक मदद भी दी जानी है, ताकि वे वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बेहतर तरीके से काम कर सकें।
  • इसमें हर शहर को प्रदूषण रोकने के लिए अपना अलग-अलग एक्शन प्लान बनाना होगा, क्योंकि हर शहर में प्रदूषण के स्रोत अलग-अलग हैं।
  • इसके अलावा NCAP में और भी कई चीजें शामिल हैं, मसलन दोपहिया वाहनों के क्षेत्र में ई-मोबिलिटी की राज्य-स्तरीय योजनाएँ, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना, बीएस-टप् स्टैण्डर्ड को कड़ाई से लागू करना, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना और प्रदूषणकारी उद्योगों के लिये थर्ड पार्टी ऑडिट को अपनाना।

पर्यावरण से जुड़े संवैधानिक प्रावधान

संविधान का अनुच्छेद-21 हमें स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार प्रदान करता है और अनुच्छेद 48ए में पर्यावरण के संरक्षण, सुधार और जंगलों तथा वन्य जीवों की सुरक्षा की बात की गई है।

  • इसके अलावा अनुच्छेद 51ए(जी) के तहत भारतीय नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें।
  • सतत विकास लक्ष्यों, यानी SDG के तहत पर्यावरणीय खतरों को कम करने के लिये कुछ लक्ष्य तय किये गए हैं। गौरतलब है कि जून 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के निर्णयों को लागू करने के लिये भारत सरकार ने एक अधिनियम बनाया था।
  • दरअसल अनुच्छेद 253 में अंतरराष्ट्रीय समझौतों को प्रभावी बनाने के लिये कानून बनाने की बात की गई है। इसी के तहत सरकार ने नया कानून बनाया और इसका नाम रखा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981।

प्रकाश प्रदूषण

प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution or Over Illumination), एक नया प्रदूषण है। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि प्रकाश भी प्रदूषण का एक सबल कारण हो सकता है। खगोलीय अध्ययन से लेकर पशु-पक्षी और मानव जाति भी परोक्ष-अपरोक्ष रूप से इसकी चपेट में आ चुके हैं।

अन्य प्रदूषण की तरह यह भी नयी सभ्यता और औद्योगिक विकास की देन है। इसके मुख्यतः दो कारण हैं - वायु प्रदूषण के साथ कृत्रिम रोशनी का गलत और बेवजह इस्तेमाल। जब प्रकाश के विभिन्न स्रोतों को गलत तरीके से लगाया जाए तो यह वायुमंडल में विद्यमान कणों से विसर्जित और बिखर कर पूरे वातावरण में फैल जाता है। इससे रात्रि का आकाश लालिमा लिए नजर आता है। जहाँ जगमगाहट ज्यादा है, वहाँ प्रकाश प्रदूषण और भी ज्यादा विद्यमान होता है।