राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना

1995 में केन्द्रीय गंगा प्राधिकरण (CGA) का नाम बदलकर ‘राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण’ कर दिया गया। गंगा कार्ययोजना का विलय NRCA के साथ कर दिया गया। वर्तमान में इसमें 19 राज्यों में फैले 121 शहरों की 40 नदियों के प्रदूषित भाग को शामिल किया गया है। NRCP का उद्देश्य प्रदूषित नदियों के किनारे बसे विभिन्न शहरों में प्रदूषण उपशमन कार्यों के जरिये नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार करना है।

  • NRCP के तहत किये गए प्रदूषण उपशमन कार्यों में खुले नालों से नदियों में आ रहे कचरे को रोकने के लिये मल व्यवस्था प्रणाली बनाना, गंदे जल के शोधन के लिये जल शोधन संयंत्र लगाना, नदी किनारे शौच पर प्रतिबंध, नदी तट एवं स्नान घाटों का सुधार, सहभागिता, जागरुकता इत्यादि शामिल हैं।
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के आदेश पर पर्यावरण शोध प्रयोगशाला (ERL) लखनऊ ने जल की गुणवत्ता के परीक्षणोपरान्त जल को पांच श्रेणियों में विभक्त किया है-
  1. वर्ग A (Category A)- पीने के लिये उपयुक्त।
  2. वर्ग B (Category B)- स्थान, तैराकी और मनोरंजन के लिये उपयुक्त।
  3. वर्ग C (Category C)- पारम्परिक उपचार के बाद पीने योग्य।
  4. वर्ग D (Category D)- वन्यजीव और मछलियों के लिये उपयुक्त।
  5. वर्ग E (Category E)- सिंचाई, औद्योगिक शीतलन और अपशिष्ट निपटान हेतु उपयुक्त।