उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम

केंद्र ने 27 मई, 2022 को कहा कि वह ऑनलाइन उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं के फेक रिव्यू (fake reviews) से बचाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लेकर आएगा।

महत्वपूर्ण तथ्य: भारत में, फेक रिव्यू उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता अधिकारों के लिए खतरा हैं।

अधिनियम के प्रमुख प्रावधान: अधिनियम में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना का प्रावधान है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देगा, उनकी रक्षा करेगा और उसे लागू करेगा।

  • CCPA अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को विनियमित करेगा।
  • यह अधिनियम उपभोक्ताओं को 6 अधिकार प्रदान करता है, जिनमें प्रमुख अधिकार हैं: (i) जीवन और संपत्ति के लिए जोखिमपरक वस्तुओं और सेवाओं के विपणन से सुरक्षा का अधिकार; (ii) वस्तु या सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, प्रभावशीलता, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में जानकारी का अधिकार; (iii) प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित किए जाने का अधिकार (iv) अनुचित या प्रतिबंधित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ मुआवजे का अधिकार।
  • जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर ‘उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग’ (CDRC) के गठन का प्रावधान है।
  • CCPA झूठे या भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्माता या अनुमोदक पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और दो साल तक की कैद का प्रावधान कर सकता है।
  • दुबारा अपराध के मामले में, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना और पांच साल तक की कैद हो सकती है।