ब्राह्मणी नदी बेसिन से ताजे पानी का पथांतरण

सितंबर 2021 में पर्यावरणविदों ने ब्राह्मणी नदी बेसिन से ताजे पानी के बड़े पैमाने पर पथांतरण (diversion) पर चिंता व्यक्त की है, जो ओडिशा में प्रसिद्ध मैंग्रोव वनस्पति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्यः तालचर-अंगुल कोयला खदानों, इस्पात और बिजली संयंत्रा के साथ-साथ कलिंगनगर स्टील और पावर हब द्वारा ब्राह्मणी नदी से भारी मात्रा में इस ताजे पानी का प्रयोग किया जा रहा है।

  • 195 वर्ग किमी. में फैली भितरकनिका रामसर आर्द्रभूमि 62 मैंग्रोव प्रजातियों का घर है। इसके अलावा, भितरकणिका मैंग्रोव वन के दलदल में 1600 खारे पानी के मगरमच्छ पाए जाते हैं।
  • ब्राह्मणी और खारसरोटा नदियों के निचले किनारों के पास समुद्री जल के साथ मीठे पानी के मिश्रण से मैंग्रोव के लिए आदर्श ‘खारे पानी’ का उत्पादन होता है।

ब्राह्मणी नदीः ब्राह्मणी भारत में प्रमुख अंतरराज्यीय पूर्व की ओर प्रवाहित वाली नदियों में से एक है।

  • ब्राह्मणी नदी बेसिन झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों को कवर करती है और इसका कुल जलग्रहण क्षेत्र 39,033 वर्ग किमी. है।
  • यह छोटानागपुर पठार से दो प्रमुख नदियों शंख (Sankh) और दक्षिण कोयल (South Koel) के रूप में निकलती है, जो ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में राउरकेला के पास वेदव्यास में आपस में मिलकर प्रमुख नदी ब्राह्मणी के रूप में आगे बढती हैं।
  • इसकी कुल लंबाई लगभग 799 किलोमीटर है। इस नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ शंख, टिकरा और कारो हैं।

इस माह के चर्चित संस्थान एवं संगठन

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

पूर्व आईपीएस अधिकारी सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने 10 सितंबर, 2021 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल लिया है।

  • गृह मंत्रालय के वर्ष 1978 के संकल्प द्वारा ‘अल्पसंख्यक आयोग’ की स्थापना की परिकल्पना की गई थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के अधिनियमन के साथ, अल्पसंख्यक आयोग एक वैधानिक निकाय बन गया और 1993 में इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कर दिया गया। प्रारंभ में पांच धार्मिक समुदायों, अर्थात मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया था। 2014 में, जैन को भी एक अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया था। आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और केंद्र सरकार द्वारा नामित पांच सदस्य होते हैं। आयोग का मुख्य कार्य अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना, संविधान और अधिनियमित कानूनों में प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों के कामकाज की निगरानी करना, अल्पसंख्यकों के अधिकारों से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जांच करना तथा अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक विकास से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन, अनुसंधान और विश्लेषण की व्यवस्था करना है।

राष्ट्रीय परिदृश्य